जब रात है ऐसी मतवाली-मुग़ल-ए-आज़म १९६०
संग कोरस ने गाया है. हिंदी सिनेमा इतिहास की सबसे महंगी बनी
हुई फिल्मों में से एक है यह. भव्य सेटों का इस्तेमाल किया गया
था फिल्म में.
गीत एक फ़िल्मी कव्वाली है जिसे शकील बदायूनी ने लिखा है और
इसकी धुन तैयार की है नौशाद ने.
गीत के बोल:
ये दिल की लगी कम क्या होगी
ये इश्क़ भला कम क्या होगा
जब रात है ऐसी मतवाली
फिर सुबह का आलम क्या होगा
नग़मो से बरसती है मस्ती
छलके हैं खुशी के पैमाने
आज ऐसी बहारें आई हैं
कल जिनके बनेंगे अफ़साने
अब इससे ज्यादा और हसीं
ये प्यार का मौसम क्या होगा
जब रात है ऐसी मतवाली
फिर सुबह का आलम क्या होगा
ये आज का रंग और ये महफ़िल
दिल भी है यहाँ दिलदार भी है
आँखों में कयामत के जलवे
सीने में तड़पता प्यार भी है
इस रंग में कोई जी ले अगर
मरने का उसे ग़म क्या होगा
जब रात है ऐसी मतवाली
फिर सुबह का आलम क्या होगा
हालत है अजब दीवानों की
अब खैर नहीं परवानों की
अन्जाम-ए-मोहब्बत क्या कहिये
लय बढ़ने लगी अरमानों की
ऐसे में जो पायल टूट गयी
फिर ऐ मेरे हमदम क्या होगा
जब रात है ऐसी मतवाली
फिर सुबह का आलम क्या होगा
................................................................
Jab raat hai aisi matwali-Mughla-e-azam 1960
0 comments:
Post a Comment