Jun 23, 2017

ऐसे तो न देखो-तीन देवियाँ १९६५

आँखों से बहुत कुछ कहा जा सकता है. किसी किसी की
नशीली आँखें देख के नशा चढ़ने लगता है. आँखों से ही
तो सम्मोहन भी हो जाता है.

फिल्म तीन देवियाँ से एक नशीली धुन पर बना गीत सुनते
हैं रफ़ी का गाया हुआ. मजरूह सुल्तानपुरी का गीत है
और एस डी बर्मन के संगीत. देव आनंद इसे परदे पर गा
रहे हैं.



गीत के बोल:

ऐसे तो न देखो  के हमको नशा हो जाए
ऐसे तो न देखो 
ख़ूबसूरत सी कोई हमसे ख़ता हो जाए
ख़ूबसूरत सी कोई हमसे ख़ता हो जाए
ऐसे तो न देखो

तुम हमें रोको फिर भी हम ना रुकें
तुम कहो काफ़िर फिर भी ऐसे झुकें
क़दम-ए-नाज़ पे इक सजदा अदा हो जाये
ऐसे तो न देखो  के हमको नशा हो जाए
ख़ूबसूरत सी कोई हमसे ख़ता हो जाए
ऐसे तो न देखो

यूँ न हो आँखे रहें काजल घोलें
बढ़ के बेखुदी हंसीं गेसू खोलें
खुल के फिर ज़ुल्फ़ें सियाह काली बला हो जाये
ऐसे तो न देखो  के हमको नशा हो जाए
ख़ूबसूरत सी कोई हमसे ख़ता हो जाए
ऐसे तो न देखो

हम तो मस्ती में जाने क्या क्या कहें
लब-ए-नाज़ुक से ऐसा न हो तुम्हें
बेक़रारी का गिला हमसे सिवा हो जाये
ऐसे तो न देखो  के हमको नशा हो जए
ख़ूबसूरत सी कोई हमसे ख़ता हो जाए
ऐसे तो न देखो
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Aise to na dekho-Teen deviyan 1965

Artist: Dev Anand, Nanda

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