लल्ला अल्लाह तेरा निगेहबान-अब्दुल्ला १९८०
आपको इस दिन सुनवाया था फिल्म अब्दुल्ला से एक गीत. आज
इसी फिल्म से एक गीत सुनते हैं जिसे परदे पर राज कपूर गा
रहे हैं. गायक स्वर मन्ना डे का है. आनंद बक्षी इस गीत के लेखक
हैं.
समय चक्र की ही बात हम कर रहे थे उस पोस्ट में. समय गुज़रता
जाता है. उसकी अपनी लय और रफ़्तार होती है. उसे इस बात से
फर्क नहीं पढता मनुष्य या किसी और जीव के चलने की रफ़्तार
और लय क्या है. जो प्रकृति के साथ चल पाता है उसे ही समय की
चाल के बारे में थोड़ बहुत समझ पढता है.
आज इतने बरसों बाद भी आर डी बर्मन का जादू कम नहीं हुआ है.
हाँ, समय गुजरने के साथ उन्हीं से प्रेरित कई नयी पीढ़ी के फ़िल्मी
संगीतकार आज चकाचौंध की दुनिया में चमक रहे हैं. दौर बदल
चूका है और साथ ही जनता की पसंद भी. जिस बीट म्यूज़िक को
कभी प्रयोग के तौर पर इस्तेमाल किया जाता था वो अब नियमित
हो चूका है. बीट और लूप के दायरे में सिमट सा गया है आज का
संगीत.
गीत के बोल:
लल्ला अल्लाह तेरा निगेहबान
लल्ला अल्लाह तेरा निगेहबान
मेरा दिल मेरी जान तेरे कुर्बान
लल्ला अल्लाह तेरा निगेहबान
मेरा दिल मेरी जान तेरे कुर्बान
मेरी आँखों में तेरी खुशी
मेरे होंठों पर तेरी हंसी
ओ ओ ओ ओ
तूने आ के मेरी बाहों में
मेरी खाली झोली भर दी
बन गया सेहरा कोई गुलिस्तां
लल्ला अल्लाह तेरा निगेहबान
मेरा दिल मेरी जान तेरे कुर्बान
तेरे दम से है ये दिलशाद
तू ही तू है बस खुदा के बाद
ओ ओ ओ ओ
तेरा दीवाना है अब्दुल्ला
तेरे बिन नहीं है कुछ याद
बन गयी जिंदगी तेरी दास्तां
लल्ला अल्लाह तेरा निगेहबान
मेरा दिल मेरी जान तेरे कुर्बान
मेरा छोटा सा है तू सनम
मेरा वादा तू मेरी कसम
हो हो हो हो
हो जा जल्दी से तू नौजवान
बाकी मेरी है उमर कम
है यूं ही आखिरी मेरा अरमान
लल्ला अल्लाह तेरा निगेहबान
लल्ला अल्लाह तेरा निगेहबान
मेरा दिल मेरी जान तेरे कुर्बान
तेरे कुर्बान तेरे कुर्बान तेरे कुर्बान
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Lalla Allah tera nigehbaan-Abdullah 1980
Artist: Raj Kapoor
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