Jun 24, 2017

रूखी सूखी मैं खा लूंगी-इन्साफ १९४६

नायिका द्वारा रूखी सूखी खाने का कंसेप्ट पुराना है.
अक्सर हम हिंदी फिल्मों में अमीर नायिकाओं को
संवाद के ज़रिये ये कहते सुनते हैं. ये बात इस पुराने
गाने में भी है जो सन १९४६ की फिल्म इन्साफ में
मौजूद है.

दीनानाथ मधोक के लिखे इस गीत की धुन बनाई है
हरि प्रसन्न दस ने.  हमीदा बानो और रफ़ी संग
कोरस ने इसे गाया है.




गीत के बोल:

रूखी सूखी मैं खा लूंगी
रूखी सूखी मैं खा लूंगी
पास बुला लो मोरे राजा
हो ओ ओ ओ ओ सावन में गरवा लगा लूंगी
हो ओ ओ ओ ओ सावन में गरवा लगा लूंगी
पास बुला लो मोरे राजा

छुट्टी न देवे दरोगा मिज़ाजी
छुट्टी न देवे दरोगा मिज़ाजी
तोहे बुलाने पे होवे न राजी
तोहे बुलाने पे होवे न राजी
आ जा उसे मैं समझा लूंगी
हो ओ ओ ओ आ जा उसे मैं समझा लूंगी
हाँ हाँ हाँ हाँ सावन में गरवा लगा लूंगी
पास बुला लो मोरे राजा

गुस्से का हिटलर है ये राम जाने
गुस्से का हिटलर है ये राम जाने
तेरी तो क्या बाप की भी ना माने
तेरी तो क्या बाप की भी ना माने
यूँ तो मैं उसको मना लूंगी
हो ओ ओ ओ यूँ तो मैं उसको मना लूंगी
हाँ हाँ हाँ हाँ हाँ सावन में गरवा लगा लूंगी
पास बुला लो मोरे राजा

रूखी सूखी मैं खा लूंगी
रूखी सूखी मैं खा लूंगी
पास बुला लो मोरे राजा
हो ओ ओ ओ सावन में गरवा लगा लूंगी
हो ओ ओ ओ सावन में गरवा लगा लूंगी
पास बुला लो मोरे राजा

सावन में गरवा लगा लूंगी
हो ओ ओ ओ सावन में गरवा लगा लूंगी
पास बुला लो मोरे राजा
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Rookhi sookhi main kha loongi-Insaaf 1946

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