Jul 18, 2017

एक बेवफ़ा की याद ने-चार दिन १९४९

४० के दशक का एक गीत सुनते हैं. जब कभी हम आपको
३० या ४० साल के अंतराल वाले गीत एक के बाद एक सुनवाते
हैं तब दलेर मेहँदी का गाया वो गीत याद आ जाता है-जोर का
झटका हाय जोरों से लगा. किया क्या जाए म्मागर, जो सीक्वेंस
दिमाग में आती है उसी अनुसार आपको गाने सुनवा देते हैं.

ये है फिल्म चार दिन का गीत सुरैया का गाया हुआ. इस गीत
के बोल शकील बदायूनीं के हैं और संगीत श्याम सुन्दर का.





गीत के बोल:

एक बेवफ़ा की याद ने तड़पा के मार डाला
हाय तड़पा के मार डाला
एक बेवफ़ा की याद ने तड़पा के मार डाला
हाय तड़पा के मार डाला
एक बेवफ़ा की याद ने

पैमाना ज़िन्दगी का मेरी ग़म से भर दिया
पैमाना ज़िन्दगी का मेरी ग़म से भर दिया
ऐ दिल तेरा बुरा हो ये क्या तूने कर दिया
मुझको मेरे नसीब से टकरा के मार डाला
हाय तड़पा के मार डाला

एक बेवफ़ा की याद ने तड़पा के मार डाला
हाय तड़पा के मार डाला
एक बेवफ़ा की याद ने

बदनाम हाय मुफ़्त में किस्मत का नाम था
बदनाम हाय मुफ़्त में किस्मत का नाम था
जो कुछ किया है तुमने तुम्हारा ही काम था
पहले तो आये सामने फिर जा के मार डाला
हाय तड़पा के मार डाला

एक बेवफ़ा की याद ने तड़पा के मार डाला
हाय तड़पा के मार डाला
एक बेवफ़ा की याद ने

सोचा था घर बसायेंगे अपना ख़ुशी-ख़ुशी
सुख-चैन से बितायेंगे दो दिन की ज़िन्दगी
हमको इसी ख़याल ने बहका के मार डाला
हाय तड़पा के मार डाला

एक बेवफ़ा की याद ने तड़पा के मार डाला
हाय तड़पा के मार डाला
एक बेवफ़ा की याद ने
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Ek bewafa ki yaad ne-Char din 1949

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