गमज़ा पैकान हुआ जाता है-के एल सहगल ग़ज़ल
हैं जिसे बेदम वारसी ने लिखा है. ये एक ग़ज़ल है.
गीत के बोल:
गमज़ा पैकान हुआ जाता है
हाय गमज़ा पैकान हुआ जाता है
दिल का अरमान हुआ जाता है
दिल का अरमान हुआ जाता है
देख कर उलझी हुई ज़ुल्फ़ उनकी
दिल परेशान हुआ जाता है
हाय दिल परेशान हुआ जाता है
तेरी वह्शत की बदौलत ए दिल हाँ
तेरी वह्शत की बदौलत ए दिल
घर बियाबान हुआ जाता है
घर बियाबान हुआ जाता है
साज़-ओ-सामान का न होना ही मुझे
साज़-ओ-सामान का न होना ही मुझे
साज़-ओ-सामान हुआ जाता है
हाय साज़-ओ-सामान हुआ जाता है
दिल से जाते हैं मेरे सब्र-ओ-क़रार
दिल से जाते हैं मेरे सब्र-ओ-क़रार
दिल से जाते हैं मेरे सब्र-ओ-क़रार
घर ये वीरान हुआ जाता है
घर ये वीरान हुआ जाता है
दिल की रग रग में समा कर बेदम
दिल की रग रग में समा कर बेदम
दर्द तो जान हुआ जाता है
दर्द तो जान हुआ जाता है
गमज़ा पैकान हुआ जा
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Gamza paikan hua jaata hai-KL Saigal
1 comments:
बहुत सुंदर ब्लॉग है आपका। सिने संगीत की अप्रतिम जानकारियां यहां प्राप्त होती है। सिनेमा से जुड़ा मेरा भी यह ब्लॉग है, कृपया इसे देखें...
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