नज़र ने कह दिया अफ़साना-भाई साहब १९५४
चुकी हैं सिवाय साडू और बहनोई के. भोजपुरी फिल्मों के नाम
पर मैंने रिसर्च नहीं की है अभी तक, शायद ये नाम उधर की
फिल्मों में मिल जाएँ.
सन १९५४ की फिल्म भाई साहब से एक गीत सुनते हैं. एक
समय था जब सेर पे स्व सेर वाले अंदाज़ में फ़िल्में बनती थीं.
एक साल श्री ४२० आती थी तो अगले साल श्रीमती ४२० चली
आती थी. हो सकता है सन १९५५ में बहनजी नाम से भी कोई
फिल्म बनी हो.
गीत गाया है सी एच आत्मा ने जिसे लिखा शैलेन्द्र ने और तर्ज़
बनाई नीनू मजूमदार ने.
गीत के बोल:
नज़र ने कह दिया
नज़र ने कह दिया अफ़साना मेरे प्यार का
हमेशा आँख में दिल रहता है दिलदार का
नज़र ने कह दिया
नज़र ने कह दिया अफ़साना मेरे प्यार का
हमेशा आँख में दिल रहता है दिलदार का
खुले तो राज़-ए-इश्क़ यूँ खुले
खुले तो राज़-ए-इश्क़ यूँ खुले
किसी भी ग़ैर को ख़बर ना मिले
समझने वाला समझ ले
यही अंदाज़ है इस बात के इज़हार का
हमेशा आँखों में दिल रहता है दिलदार का
नज़र ने कह दिया
नज़र ने कह दिया अफ़साना मेरे प्यार का
हमेशा आँख में दिल रहता है दिलदार का
जब से हुआ है तेरा इशारा
जब से हुआ है तेरा इशारा
बस में नहीं है दिल भी हमारा
बस में नहीं है दिल भी हमारा
क़सम गई क़रार टूट गया
ख़ुदी का ऐतबार छूट गया
के सब्र टूटने लगा
बहार बोली ये मौक़ा नहीं इंकार का
हमेशा आँखों में दिल रहता है दिलदार का
नज़र ने कह दिया
नज़र ने कह दिया अफ़साना मेरे प्यार का
हमेशा आँख में दिल रहता है दिलदार का
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Nazar ne keh diya-Bhai saheb 1954
1 comments:
वाह भाई वाह
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