ख़ामोश ज़िन्दगी को आवाज़-नाग मंदिर १९६६
नाग मंदिर से जो सन १९६६ की फिल्म है जिसमें कि
लक्ष्मी प्यारे का संगीत है.
शिव कुमार सरोज के बोल हैं और रफ़ी की आवाज़.
गीत के बोल:
ख़ामोश ज़िन्दगी को आवाज़ दे रहे हो
ख़ामोश ज़िन्दगी को आवाज़ दे रहे हो
टूटे हुए हाथों में क्यूँ साज़ दे रहे हो
ख़ामोश ज़िन्दगी को आवाज़ दे रहे हो
बेनूर मेरी आँखें और दूर का सफ़र है
बेनूर मेरी आँखें और दूर का सफ़र है
उठते हैं पाँव लेकिन गिर जाने का भी डर है
पर काट के किसी के परवाज़ दे रहे हो
टूटे हुए हाथों में क्यूँ साज़ दे रहे हो
ख़ामोश ज़िन्दगी को
आँखों से बहता दरिया होंठों पे आह लेकर
आँखों से बहता दरिया होंठों पे आह लेकर
साहिल पे हम खड़े हैं साहिल की चाह लेकर
बर्बाद-ऐ-मोहब्बत को नए अन्दाज़ दे रहे हो
टूटे हुए हाथों में क्यूँ साज़ दे रहे हो
ख़ामोश ज़िन्दगी को
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Khamosh zindagi ko-Naag Mandir 1966
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