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Mar 29, 2018

मेरे सनम सुन मेरा गम-नाग मंदिर १९६६

नाग-नागिन थीम वाली कुछ फ़िल्में लक्ष्मी प्यारे के हिस्से में भी
आयीं. सन १९६६ की फिल्म नाग मंदिर के गीत ज्यादा नहीं बजे
मगर सन १९७६ यानि कि ठीक दस साल बाद आई फिल्म नागिन
के गीत हिट हो गए.

सुनते हैं फिल्म नाग मंदिर से एक मधुर गीत लता का गाया हुआ.
इसे लिखा है भरत व्यास ने. गीत का संगीत भूतिया इफेक्ट वाला
है. ऐसे गीतों के लिए संगीतकारों को लता की आवाज़ सबसे ज्यादा
उपयुक्त लगती थी.





गीत के बोल:

मेरे सनम सुन मेरा गम
उलझनें जिंदगी बन गई
तू कहीं मैं कहीं
मेरे सनम

जल रहा है दिल मेरा
मैं चुप रहूँ तो कैसे
घुट रहा है दम मेरा
मैं कुछ कहूँ तो कैसे
गम से हदें खुशी की जा मिलीं
उलझनें जिंदगी बन गई
तू कहीं मैं कहीं
मेरे सनम

कितने दिन गुजर गये
किस्मत को सोते सोते
कितनी उम्र गई
दिन रात रोते रोते
फिर भी तो बदनसीबी कम नहीं
उलझनें जिंदगी बन गई
तू कहीं मैं कहीं
मेरे सनम सुन मेरा गम
उलझनें जिंदगी बन गई
तू कहीं मैं कहीं
मेरे सनम
……………………………………………………………
Mere sanam sun mera gham-Naag Mandir 1966

Artist: Vijaya Chaudhry

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Jul 28, 2017

ख़ामोश ज़िन्दगी को आवाज़-नाग मंदिर १९६६

नाग पंचमी के अवसर पर अगला गीत पेश है फिल्म
नाग मंदिर से जो सन १९६६ की फिल्म है जिसमें कि
लक्ष्मी प्यारे का संगीत है.

शिव कुमार सरोज के बोल हैं और रफ़ी की आवाज़.




गीत के बोल:

ख़ामोश ज़िन्दगी को आवाज़ दे रहे हो
ख़ामोश ज़िन्दगी को आवाज़ दे रहे हो
टूटे हुए हाथों में क्यूँ साज़ दे रहे हो
ख़ामोश ज़िन्दगी को आवाज़ दे रहे हो

बेनूर मेरी आँखें और दूर का सफ़र है
बेनूर मेरी आँखें और दूर का सफ़र है
उठते हैं पाँव लेकिन गिर जाने का भी डर है
पर काट के किसी के परवाज़ दे रहे हो
टूटे हुए हाथों में क्यूँ साज़ दे रहे हो
ख़ामोश ज़िन्दगी को

आँखों से बहता दरिया होंठों पे आह लेकर
आँखों से बहता दरिया होंठों पे आह लेकर
साहिल पे हम खड़े हैं साहिल की चाह लेकर
बर्बाद-ऐ-मोहब्बत को नए अन्दाज़ दे रहे हो
टूटे हुए हाथों में क्यूँ साज़ दे रहे हो
ख़ामोश ज़िन्दगी को
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Khamosh zindagi ko-Naag Mandir 1966

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