मैं इस मासूम चेहरे को-बागी शहज़ादा १९६४
फिल्माया गया एक मधुर गीत सुनते हैं. किशोर कुमार और
कुमकुम उर्फ जेबुन्निसा अभिनीत फिल्म बागी शहज़ादा का
ये गीत गाया है रफ़ी ने. सुमन कल्याणपुर साथ में गा रही
हैं और ये एक युगल गीत है.
किशोर कुमार पर फिल्माए गए और रफ़ी के गाये हुए ५-६
गीत हैं जो अनोखे हैं. किशोर कुमार के लिए गाने वालों
में मन्ना डे और आशा भोंसले भी हैं.
गीत लिखा है नूर देवासी ने और इस गीत की धुन बनाई है
बिपिन दत्ता ने. बिपिन बिपिन बाबुल की जोड़ी का हिस्सा
हुआ करते थे कभी.
गीत के बोल:
मैं इस मासूम चेहरे को अगर छू लूं तो क्या होगा
मैं इस मासूम चेहरे को अगर छू लूं तो क्या होगा
अरे पागल वही होगा जो मंज़ूर-ऐ-खुदा होगा
मैं इस मासूम चेहरे को अगर छू लूं तो क्या होगा
गुलाबी होंठ नाज़ुक से ये काला तिल है या कातिल
ये माना ज़ुल्फ़ें नागिन हैं मगर हैं प्यार के काबिल
अगर बिजली निगाहों की गिरें दिल पे तो क्या होगा
अरे पागल वही होगा जो मंज़ूर-ऐ-खुदा होगा
मैं इस मासूम चेहरे को अगर छू लूं तो क्या होगा
बहारों में खरारत है नजारों में है तीखापन
ये क्या होने लगा मुझको ये क्यूँ साँसों में है उलझन
शरारत है हवाओं में उड़ा आँचल तो क्या होगा
अरे पागल वही होगा जो मंज़ूर-ऐ-खुदा होगा
मैं इस मासूम चेहरे को अगर छू लूं तो क्या होगा
ये बिखरे से ख्यालों का सिमटना है बड़ा मुश्किल
गुलों का खुद भी काँटों से लिपटना है बड़ा मुश्किल
बना लूं आशियाँ अपना जो काँटों में तो क्या होगा
अरे पागल वही होगा जो मंज़ूर-ऐ-खुदा होगा
मैं इस मासूम चेहरे को अगर छू लूं तो क्या होगा
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Main is masoom chehre ko-Baghi shahzada 1964
Artists: Kishore Kumar, Kumkum
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