मैं अपने आप से घबरा गया हूँ-बिंदिया १९६०
चुके हैं. रफ़ी को याद करते हुए उनका एक बेहतरीन नगमा सुनते
हैं फिल्म बिंदिया से. १९६० की फिल्म बिंदिया में इकबाल कुरैशी
का संगीत है.
इंसानी रिश्तों और भावनाओं पर मजबूत पकड़ वाले राजेंद्र कृष्ण ने
इस गीत के बोल लिखे हैं. एक रचनाकार का संवेदनशील होना बेहद
ज़रूरी है. ये एक ऐसा गुण है जो बहुत कम लोगों में पाया जाता
है. इसी गुण के चलते कई लोग बच्चों के अच्छे डॉक्टर, समाजसेवी,
विचारक और पर्यावरण प्रेमी बन जाते हैं. और भी कई पेशे हैं जहाँ
इस गुण से काफी मदद मिलती है, एक अच्छा एक्टर बनने के
लिए भी. रफ़ी की दरियादिली की तो खैर मिसालें पेश की जाती हैं.
ये गीत अपार दुःख के क्षणों में आपको अपने आप से जोड़ लेता है.
इस दौर से जो भी गुज़रा है उसको मन हल्का करने में इस गीत की
मदद भी मिली है.
गीत के बोल:
मैं अपने आप से घबरा गया हूँ
मुझे ऐ ज़िंदगी दीवाना कर दे
मुझे ऐ ज़िंदगी दीवाना कर दे
मैं अपने आप से घबरा गया हूँ घबरा गया हूँ
मैं अपने आप से घबरा गया हूँ
मुझे ऐ ज़िंदगी दीवाना कर दे
मुझे ऐ ज़िंदगी दीवाना कर दे
कहाँ से ये फ़रेब-ए-आरज़ू मुझको कहाँ लाया
जिसे मैं पूजता था आज तक निकला वो इक साया
ख़ता दिल की है मैं शरमा गया हूँ
मैं अपने आप से घबरा गया हूँ
मुझे ऐ ज़िंदगी दीवाना कर दे
मुझे ऐ ज़िंदगी दीवाना कर दे
बड़े ही शौक़ से इक ख़्वाब में खोया हुआ था मैं
अजब मस्ती भरी इक नींद में सोया हुआ था मैं
खुली जब आँख तो थर्रा गया हूँ थर्रा गया हूँ
मैं अपने आप से घबरा गया हूँ
मुझे ऐ ज़िंदगी दीवाना कर दे
मुझे ऐ ज़िंदगी दीवाना कर दे
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Main apne aap se ghabra gaya hoon-Bindiya 1960
Artists: Balraj Sahni, Padmini
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