ज़रा सी बात प्यार की-सलाम मेमसाब १९६१
युग की फिल्म है जिसका गीत आप सुनेंगे आज. प्यानो
भांजने वाले कलाकार का नाम है सुबिराज.
फिल्म: सलाम मेमसाब
वर्ष: १९६१
गीतकार: असद भोपाली
गायक: रफ़ी, सुमन कल्याणपुर
संगीत: रवि
गीत के बोल:
ज़रा सी बात प्यार की ज़ुबान से निकल गई
हुज़ूर क्या खता हुई निगाह क्यों बदल गई
ज़रा सी बात प्यार की ज़ुबान से निकल गई
हुज़ूर क्या खता हुई निगाह क्यों बदल गई
ज़रा इधर तो देखिये निगाहें तो मिलाइये
ज़रा इधर तो देखिये निगाहें तो मिलाइये
ये नरम होंठ इस तरह न दांतों में दबाइए
ये गुस्सा देख कर यहाँ तो जां ही निकल गई
हुज़ूर क्या खता हुई निगाह क्यों बदल गई
हुज़ूर क्या खता हुई निगाह क्यों बदल गई
ज़रा सी बात प्यार की ज़ुबान से निकल गई
हुज़ूर क्या खता हुई निगाह क्यों बदल गई
हुज़ूर क्या खता हुई निगाह क्यों बदल गई
जफ़ाएं छोड़ दीजिए सितम से बाज आइये
जफ़ाएं छोड़ दीजिए सितम से बाज आइये
हमारा दिल है आपका हमें न आजमाइये
ये आप क्या चले यहाँ छुरी सी दिल पे चल गई
हुज़ूर क्या खता हुई निगाह क्यों बदल गई
हुज़ूर क्या खता हुई निगाह क्यों बदल गई
ज़रा सी बात प्यार की ज़ुबान से निकल गई
हुज़ूर क्या खता हुई निगाह क्यों बदल गई
हुज़ूर क्या खता हुई निगाह क्यों बदल गई
ज़रा शरीफ़ लड़कियों से बात करना सीखिये
ज़रा शरीफ़ लड़कियों से बात करना सीखिये
फिर उसके बाद आइने में अपनी शक़्ल देखिये
हमारे मेंहमान थे तो बात आ के टल गयी
नहीं तो लोग पूछते के शक़्ल क्यों बदल गई
नहीं तो लोग पूछते के शक़्ल क्यों बदल गई
ज़रा सी बात बुखार की ज़ुबान से निकल गई
हुज़ूर क्या खता हुई निगाह क्यों बदल गई
हुज़ूर क्या खता हुई निगाह क्यों बदल गई
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Zara si baat pyar ki-Salam Memsaab 1961
Artists: Subiraj, Kumkum
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