दो परदेसी अनजाने से-कशिश १९८०
हम लोग. इसके अलावा गुम हो गए, बिछड़े हुए, पिछड़े हुए
शब्द भी कभी कभार प्रयोग में ले लेते हैं. पिछले कुछ दिनों
से कुछ बिछड़े नगमे बहुत याद आ रहे हैं. एक याद आया
सन १९८० की फिल्म कशिश से जिसमें कल्याणजी आनंदजी
का संगीत है.
ये एक प्रसिद्ध युगल गीत है किशोर और सुमन कल्याणपुर का
गाया हुआ. इस गीत को अनजान ने लिखा है और भले ही आज
ये गीत अनजान सा हो मगर एक समय रेडियो वाले इसे रोज
बजा बजा कर आनंदित किया करते थे-धन्यवाद आकाशवाणी
का पंचरंगी प्रोग्राम-विविध भारती.
ये भी एक ऐसा गीत है जिसके बहाने आपको विलायत की सैर
मुफ्त में हो जाती है. नवीन निश्चल और रीना रॉय पर इसे
फिल्माया गया है.
गीत के बोल:
दो परदेसी अनजाने से
दो परदेसी अनजाने से
लगते हैं क्यूँ पहचाने से
ओ साथिया रे
मैं भी न जानूं तू भी न जाने
कोई भी न जाने
दो परदेसी अनजाने से
लगते हैं क्यूँ पहचाने से
कोई चेहरा देखे तो
कोई सपना याद आये
कोई सपना याद आये
सदियों से जो बिछड़े
कोई अपना याद आये
कोई अपना याद आये
देश बेगाना देश बेगाना
लोग पराये मन के मीत कहाँ मिल जाएँ
ओ साथिया रे
मैं भी न जानूं तू भी न जाने
कोई भी न जाने
दो परदेसी अनजाने से
लगते हैं क्यूँ पहचाने से
चुभते हैं क्यूँ बदन में
फूलों के नरम साये
फूलों के नरम साये
बादल से प्यास बरसे
लहरों से आंच आये
लहरों से आंच आये
जीवन में ये
जीवन में ये क्या दिन आये
अपनी साँसें आग लगाएं
ओ साथिया रे
मैं भी न जानूं तू भी न जाने
कोई भी न जाने
दो परदेसी अनजाने से
लगते हैं क्यूँ पहचाने से
झिलमिल से ये उजाले
गुमसुम से ये अँधेरे
गुमसुम से ये अँधेरे
कहते हैं दूर रहना
पर रहना साथ मेरे
पर रहना साथ मेरे
पास भी आ के
पास भी आ के पास ना आयें
दो दिल क्यूँ प्यासे रह जाएँ
ओ साथिया रे
मैं भी न जानूं तू भी न जाने
कोई भी न जाने
दो परदेसी अनजाने से
दो परदेसी अनजाने से
लगते हैं क्यूँ पहचाने से
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Do pardesi anjaane se-Kashish 1980
Artists: Naveen Nishchal, Reena Roy,
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