Aug 28, 2017

आ जा री आ निंदिया तू आ-दो बीघा ज़मीन १९५३

एक लोरी गीत सुनते हैं. इसे सुबह के समय सुनने में उतना आनंद
नहीं आता जितना रात के वक्त सुनने में. कुछ लोगों को नींद, निंदिया
शब्द सुन कर ही नींद आने लगती है.

ये गीत है सन १९५३ की फिल्म दो बीघा ज़मीन से जिसे शैलेन्द्र ने
लिखा है. इसके संगीतकार हैं सलिल चौधरी. गायिका को आप पहचान
ही लेंगे ऐसा मेरा विश्वास है.




गीत के बोल:

आ जा री आ निंदिया तू आ
आ जा री आ निंदिया तू आ
आ जा री आ निंदिया तू आ
झिलमिल सितारों से उतर
आँखों में आ सपने सजा
आ जा री आ निंदिया तू आ

सोई कली सोया चमन पीपल तले सोई हवा
सब रंग गए इक रंग में तूने ये क्या जादू किया
आ जा री आ निंदिया तू आ

संसार की रानी है तू राजा है मेरा लाडला
दुनिया है मेरी गोद में पूरा हुआ सपना मेरा
आ जा री आ निंदिया तू आ
आ जा री आ निंदिया तू आ
……………………………………………………………
Aa ja ri aa-Do bigha zameen 1953

Artist: Meena Kumari, Nirupa Roy

0 comments:

© Geetsangeet 2009-2020. Powered by Blogger

Back to TOP