आ जा री आ निंदिया तू आ-दो बीघा ज़मीन १९५३
नहीं आता जितना रात के वक्त सुनने में. कुछ लोगों को नींद, निंदिया
शब्द सुन कर ही नींद आने लगती है.
ये गीत है सन १९५३ की फिल्म दो बीघा ज़मीन से जिसे शैलेन्द्र ने
लिखा है. इसके संगीतकार हैं सलिल चौधरी. गायिका को आप पहचान
ही लेंगे ऐसा मेरा विश्वास है.
गीत के बोल:
आ जा री आ निंदिया तू आ
आ जा री आ निंदिया तू आ
आ जा री आ निंदिया तू आ
झिलमिल सितारों से उतर
आँखों में आ सपने सजा
आ जा री आ निंदिया तू आ
सोई कली सोया चमन पीपल तले सोई हवा
सब रंग गए इक रंग में तूने ये क्या जादू किया
आ जा री आ निंदिया तू आ
संसार की रानी है तू राजा है मेरा लाडला
दुनिया है मेरी गोद में पूरा हुआ सपना मेरा
आ जा री आ निंदिया तू आ
आ जा री आ निंदिया तू आ
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Aa ja ri aa-Do bigha zameen 1953
Artist: Meena Kumari, Nirupa Roy
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