Aug 25, 2017

मिलती है अगर नज़रों से नज़र-दो दिलों की दास्तान १९६६

रफ़ी और आशा का गाया एक युगल गीत सुनते हैं जिसे लिखा
है राजा मेहँदी अली खान ने और जिसका संगीत ओ पी नैयर
ने तैयार किया गया है.

फिल्म का नाम है दो दिलों की दास्तान. इस नाम से एक फिल्म
रंगीन युग में भी बन चुकी है ८० के दशक में. इस श्वेत श्याम युग
की फिल्म के प्रमुख कलाकार हैं प्रदीप कुमार और वैजयंतीमाला.





गीत के बोल:


मिलती है अगर नज़रों से नज़र शरमाते हो क्यों
अजी मैंने कहा
दुनिया का है डर नज़रों से नज़र टकराते हो क्यों
होये ऐ जी मैंने कहा
मिलती है अगर नज़रों से नज़र शरमाते हो क्यों
अजी मैंने कहा
दुनिया का है डर नज़रों से नज़र टकराते हो क्यों
हाय हाय ऐ जी मैंने कहा

मिलते ही निगाहें दीवाने क्यों मचल गया दिल तेरा है
बस ये समझो इक भँवरे ने तुम्हे फूल समझ के घेरा है
हूँ फूल अगर भँवरा बन कर तरसाते हो क्यों क्यों
अजी मैंने कहा
दुनिया का है डर नज़रों से नज़र टकराते हो क्यों क्यों
ऐ जी मैंने कहा

जाओ जी हम नहीं दिल देते हम देखेंगे क्या कर लोगे
ये अच्छी तरह हम जान गए तुम कोई बहाना कर लोगे
देखो देखो मुझे लड़की समझ बहकाते हो क्यों क्यों
अजी मैंने कहा
दुनिया का है डर नज़रों से नज़र टकराते हो क्यों क्यों
ऐ जी मैंने कहा

जाओ जाओ आगे जाओ हमें तुम जैसों से क्या लेना
अजी हम भी तुमसे बाज़ आये ना दिल लेना ना दिल देना
फिर बन ठन के इस लड़की के पास आते हो क्यों क्यों क्यों
अजी मैंने कहा
दुनिया का है डर नज़रों से नज़र टकराते हो क्यों क्यों
ऐ जी मैंने कहा

मिलती है अगर नज़रों से नज़र शरमाते हो क्यों
अजी मैंने कहा
दुनिया का है डर नज़रों से नज़र टकराते हो क्यों
ऐ जी मैंने कहा
………………………………………………………………..
Milti hai nazar nazron se-Do dilon ki dastan 1966

1 comments:

Geetsangeet October 9, 2017 at 2:13 PM  

लगता है आप नैयर के फैन हैं.

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