Oct 3, 2017

धन्नो की आँखों में-किताब १९७७

प्रयोगधर्मिता का अक्सर मतलब होता है ऐसा कुछ करना जो लीक से
हटा हुआ हो, कुछ अनूठा हो या आसानी से समझ नहीं आये ऐसा हो.

फिल्म किताब एक ‘अलग-हट-के’ श्रेणी की फिल्म है. इसके गीत भी
अलग हट के ही हैं. आज सुनते हैं एक गीत गुलज़ार का लिखा हुआ
जिसे संगीतबद्ध किया और गाया है आर डी बर्मन ने.

रेल के इंजन में जो कलाकार गीत गा रहा है उसे पहचानिये.



गीत के बोल:

धन्नो की आँखों में है रात का सुरमा
और चाँद का चुम्मा
हो ओ ओ
धन्नो की आँखों में है रात का सुरमा
और चाँद का चुम्मा

हो सहर भी तेरे बिना रात लगे
छाला पड़े आग जैसे चाँद पे जो हाथ लगे
सहर भी तेरे बिना रात लगे
छाला पड़े आग जैसे चाँद पे जो हाथ लगे
हो ओ ओ
धन्नो का गुस्सा है एक तीर का चुम्मा
और चाँद का चुम्मा

हो धन्नो तुझे ख़्वाब में देखा है
लैला की हीर की किताब में देखा है
धन्नो तुझे ख़्वाब में देखा है
लैला की हीर की किताब में देखा है
हो ओ ओ
धन्नो की आँखों में है रात का सुरमा
और चाँद का चुम्मा
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Dhanno ki ankhon mein-Kitaab 1977

Artists: Master Raju

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