दाईं आँख बोले कभी बाईं-दायरा १९९६
के प्रयोग से सिकुड रहा है. पेरिफेरल विज़न लॉस एक चीज़ है
जिसके शिकार आजकल सभी हो रहे हैं. इसमें आँखों के किनारों
से दिखना कम हो जाता है.
एक गीत सुनते हैं जिसमें दोनों आँखों के बीच को-ओर्डिनेशन
शायद नहीं है. दोनों आँखें अलग अलग समय पर संवाद करती
हैं. साहित्य है अतः आँख से कोई फल का रस भी निकल
सकता है. अनयूजुअल फेनोमिना है इसलिए गाने में भी इस बात
को ४ बार रिपीट किया गया है शुरू में माहौल बनाने के लिए.
गीत के अंत में केमिस्ट्री के कन्फर्मेट्री टेस्ट और ज्योमेट्री की
थ्योरम वाले अंदाज़ में इसकी पुष्टि भी की गयी है ३ बार गा
कर.
गीत है फिल्म दायरा से जिसे देवकी पंडित ने गाया है. गीत का
संगीत तैयार किया है आनंद मिलिंद ने और गुलज़ार ने इसे लिखा
है. देवकी पंडित की आवाज अनुराधा पौडवाल की आवाज़ के निकट
है.
गीत के बोल:
दाईं आँख बोले कभी बाईं आँख बोले
कित्ती बार ये किवाड़े भिड़े कभी खोले
दाईं आँख बोले कभी बाईं आँख बोले
कित्ती बार ये किवाड़े भिड़े कभी खोले
दाईं आँख बोले कभी बाईं आँख बोले
कित्ती बार ये किवाड़े भिड़े कभी खोले
दाईं आँख बोले कभी बाईं आँख बोले
कित्ती बार ये किवाड़े भिड़े कभी खोले
दाईं आँख बोले कभी
देख देख राहें नैना थकने लगे हैं
देख देख राहें नैना थकने लगे हैं
पिया किस देस जा के बसने लगे हैं
पिया किस देस जा के बसने लगे हैं
दाईं आँख रोये कभी बाईं आँख रोये
कित्ती बार ये किवाड़े भिड़े कभी खोले
दाईं आँख बोले कभी बाईं आँख बोले
कित्ती बार ये किवाड़े भिड़े कभी खोले
दाईं आँख बोले कभी
एक आस डूबे मन की एक आस लागे
एक आस डूबे मन की एक आस लागे
जागी जागी सोये बिरहन सोई सोई जागे
जागी जागी सोये बिरहन सोई सोई जागे
दाईं ओर डोले कभी बाईं ओर डोले
कित्ती बार ये किवाड़े भिड़े कभी खोले
दाईं आँख बोले कभी बाईं आँख बोले
कित्ती बार ये किवाड़े भिड़े कभी खोले
दाईं आँख बोले कभी बाईं आँख बोले
कित्ती बार ये किवाड़े भिड़े कभी खोले
दाईं आँख बोले कभी बाईं आँख बोले
कित्ती बार ये किवाड़े भिड़े कभी खोले
दाईं आँख बोले कभी
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Dayin aankh bole kabhi-Dayra 1996
2 comments:
an exquisite beauty from gulzar
????
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