Dec 23, 2017

लगी मस्त नज़र की कटार-सेहरा १९६३

कभी कभी मैं सोचता हूँ बिना आलेख क्या गीत नहीं
सुनते श्रोता. सुनते हैं, ज़रूर सुनते हैं. गीत का मजा
लेने वाले ये नहीं देखते पांच पन्ने का निबंध लिखा
है ये प्रेसी लिखी है. जिन्हें केवल कॉपी ही करना हो
उन्हें आलेख ऐसे मिलता है जैसे इडली के साथ सांबर
और चटनी फ्री. पीते जाओ पीते जाओ.

जिन्हें गीत का आनंद लेना हो उन्हें फर्क नहीं पड़ता
नायक अपनी अपान वायु छोड़ने पहाड पे गया या
खुले मैदान में या उसने भरी महफ़िल में ही धीरे से
छोड़ दी.

एक गीत सुनते हैं फिल्म सेहरा से जिसे रफ़ी ने
गाया है. हसरत के बोल हैं और रामलाल का संगीत.



गीत के बोल:

लगी मस्त नज़र की कटार
मस्त नज़र की कटार
दिल के उतर गयी पार
इन प्यार की राहों में
हो इन प्यार की राहों में
दिल भी गया हम भी गये
ज़ख्मे जिगर है बहार
मस्त नज़र की कटार
दिल के उतर गयी पार
इन प्यार की राहों में
हो इन प्यार की राहों में
दिल भी गया हम भी गये
ज़ख्मे जिगर है बहार
मस्त नज़र की कटार


चेहरा आ हा
चेहरा चमकीला सूरज हो जैसे प्यार का
बाहें लहराती नक़्शा है एक तलवार का
हम तो लुट गये
हम तो लुट गये
खुशी से हम तो लुट गये
खामोश नज़ारों में
हो खामोश नज़ारों में
प्यासी अदा जिस पे फ़िदा
हम तो हुए सौ बार

हो मस्त नज़र की कटार
मस्त नज़र की कटार
दिल के उतर गयी पार
इन प्यार की राहों में
हो इन प्यार की राहों में
दिल भी गया हम भी गये
ज़ख्मे जिगर है बहार
हो मस्त नज़र की कटार

आँखें हाय हाय
आँखें मतवाली उल्फ़त के जैसे रास्ते
पलकें अलबेली छाया है मेरे वास्ते
झूमे ज़िंदगी
झूमे ज़िंदगी नशे में झूमे ज़िंदगी
दिलवर के खयालों में
हाय दिलवर के खयालों में
हम तो मगन गाते चले
प्यार के नग़मे हज़ार
मस्त नज़र की कटार

मस्त नज़र की कटार
अरे दिल के उतर गयी पार
इन प्यार की राहों में
हो इन प्यार की राहों में
दिल भी गया हम भी गये
ज़ख्मे जिगर है बहार
मस्त नज़र की कटार

खुशबू हा
खुशबू ज़ुल्फ़ों की आती है सर्द हवाओं से
खोया चाहत में अब गुज़रूँ हूँ जिस गाँव से
यादें घेर लें
यादें घेर लें हमको यादें घेर लें
जंगल की फिज़ाओं में
जंगल की फिज़ाओं में
वो जो नहीं फीका लगे
रंग भरा संसार

मस्त नज़र की कटार

मस्त नज़र की कटार
दिल के उतर गयी पार
हाय हाय हाय
इन प्यार की राहों में
हो इन प्यार की राहों में
दिल भी गया हम भी गये
ज़ख्मे जिगर है बहार
हो मस्त नज़र की कटार
दिल के उतर गयी पार
इन प्यार की राहों में
हो इन प्यार की राहों में
दिल भी गया हम भी गये
ज़ख्मे जिगर है बहार
हो मस्त नज़र की कटार
हा हा हा
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Lagi mast nazar ki katar-Sehra 1963

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