ज़रा मन की किवडिया खोल-कोहिनूर १९६०
कोहिनूर का. सुनने में आनंददायी ये गीत फिल्म के अन्य गीतों की
तुलना में कम सुना हुआ है आम जनता द्वारा.
गीत जिसे कलाकार पर फिल्माया गया है उसे आप पहचान ही लेंगे.
हिंदी फिल्मों में सभी प्रमुख नायकों को जोगी या बाबा का भेस धरने
का सौभाग्य अवश्य ही प्राप्त हुआ है.
शकील बदायूनीं की रचना है और नौशाद का संगीत. इसे रफ़ी ने
गाया है.
गीत के बोल:
कोई प्यार के पंख पसारे
आया है पास तिहारे
सुध बुध अपनी बिसराये
पगला मन तोहे पुकारे
ज़रा मन की किवडिया खोल
सैंया तोरे द्वारे खड़े
ज़रा मन की किवडिया खोल
सैंया तोरे द्वारे खड़े
सैंया तोरे द्वारे बलमा तोरे द्वारे
ओ सजना तोरे द्वारे खड़े
बिरहा की रैना बिरहा की रैन
तेरी गलियों के फेरे तेरी गलियों के फेरे
जोगी का रूप लिया प्रीतम ने तेरे
जोगी का रूप लिया प्रीतम ने तेरे
गोरी सुन ले बलम के बोल
सैंया तोरे द्वारे खड़े
हाँ सैंया तोरे द्वारे बलमा तोरे द्वारे
ओ सजना तोरे द्वारे खड़े
हो ओ ओ ओ ओ ओ
मिलना है आज तोहे अपने पिया से
हो ओ ओ ओ ओ ओ
मिलना है आज तोहे अपने पिया से
जाने न भेद कोई तेरे जिया के
जाने न भेद कोई तेरे जिया के
मन-मन में सजनिया डोल
सैंया तोरे द्वारे खड़े
ओ हो हो सैंया तोरे द्वारे बलमा तोरे द्वारे
ओ सजना तोरे द्वारे खड़े
बिगड़े न बात कहीं धीरज न खोना
बिगड़े न बात कहीं धीरज न खोना
जागे है भाग अब काहे का रोना
जागे है भाग अब काहे का रोना
तेरा जीवन बड़ा अनमोल
सैंया तोरे द्वारे खड़े
ओ ज़रा मन की किवडिया खोल
सैंया तोरे द्वारे खड़े
ओ सैंया तोरे द्वारे ओ बलमा तोरे द्वारे खड़े
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Zara man ki kiwadiya khol-Kohinoor 1960
Artist: Dilip Kumar
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