अलबेले सैयां झूलना झुला जा रे-मालिक १९५८
ताजे से लगते हैं. टाइमलेस कहो या समय के बंधन से मुक्त
मतलब तो एक ही है.
आज सुनें एक और विंटेज गीत जो उतना विंटेज नहीं है जैसे
हम ३० और ४० के दशक के गीतों को बोलते हैं. कोरस वाला
ये गीत शमशाद बेगम और सुरैया की मधुर ध्वनियों से युक्त है.
शकील बदायूनीं के बोल हैं और गुलाम मोहम्मद का संगीत.
गीत के बोल:
अलबेले सैंया झुलना झुला जा रे
अलबेले सैंया झुलना झुला जा रे
आई रिमझिम
हो आई रिमझिम
हो आई रिमझिम रुत अब आ जा
अलबेले सैंया झुलना झुला जा रे
अलबेले सैंया झुलना झुला जा रे
झूलूँ अकेले
झूलूँ अकेले कैसे हिंडोला
आ जा रे बालम ले कर डोला
आ जा रे बालम ले कर डोला
आ जा रे बालम ले कर डोला
ले कर डोला
हो हो हो हो पिया मिलन के दिन हैं सजनिया
होय काढ ले घूँघटा बन जा दुल्हनिया
होय काढ ले घूँघटा बन जा दुल्हनिया
तोहे छुप छुप
हो तोहे छुप छुप
होय तोहे छुप छुप देखे तोरा राजा
अलबेले सैंया झुलना झुला जा रे
अलबेले सैंया झुलना झुला जा रे
प्रेम का झूला डाल के मन में
डाल के मन में
प्रेम का झूला डाल के मन में
आऊँ गगन से जाऊँ गगन में
होओ ओ ओ ओ
आऊँ गगन से जाऊँ गगन में
आऊँ गगन से जाऊँ गगन में
हो ओ ओ ओ
आगे बढ़ूँ तो दरशन पी के
पीछे हटूँ तो सब रंग फीके
होय पीछे हटूँ तो सब रंग फीके
मोरी आँखों में
हो मोरी आँखों में
हो मोरी आँखों में बलमा समाँ जा
अलबेले सैंया झुलना झुला जा रे
अलबेले सैंया झुलना झुला जा रे
अलबेले सैंया झुलना झुला जा रे
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Albele saiyan jhulna jhula ja re-Maalik 1958
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