दायम पड़ा हुआ-बेगम अख्तर गज़ल
मिर्ज़ा ग़ालिब की रचनाओं को गाने वालों मे बेगम अख्तर का
नाम काफी आदर से लिया जाता है. गज़ल गायकी में जो स्थान
उनका है वहाँ तक पहुँच तो गए कुछ लोग मगर उस स्थान पर
काबिज ना हो पाए.
गीत के बोल:
दायम पड़ा हुआ तेरे दर पर नहीं हूँ मैं
दायम पड़ा हुआ तेरे दर पर नहीं हूँ मैं
ख़ाक़ ऐसी ज़िंदगी पे के पत्थर नहीं हूँ मैं
ख़ाक़ ऐसी ज़िंदगी पे
क्यों गर्दिश-ए-मुदाम से
क्यों गर्दिश-ए-मुदाम से घबरा न जाये दिल
इन्सान हूँ प्याला-ओ-साग़र नहीं हूँ मैं
इन्सान हूँ प्याला-ओ
या रब
या रब ज़माना मुझको मिटाता है किस लिये
या रब ज़माना मुझको मिटाता है किस लिये
लौह-ए-जहाँ पे हर्फ़-ए-मुक़र्रर नहीं हूँ मैं
लौह-ए-जहाँ पे हर्फ़-ए-मुक़र्रर नहीं हूँ मैं
हद चाहिये सज़ा में अक़ूबत के वास्ते
आखिर गुनाह्ग़ार हूँ क़ाफ़िर नहीं हूँ मैं
आखिर गुनाह्ग़ार हूँ क़ाफ़िर नहीं हूँ मैं
दायम पड़ा हुआ तेरे दर पर नहीं हूँ मैं
दायम पड़ा हुआ तेरे दर पर नहीं हूँ मैं
ख़ाक़ ऐसी ज़िंदगी पे के पत्थर नहीं हूँ मैं
दायम पड़ा हुआ
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Dayam pada hua hai-Begum Akhtar Non film song
1 comments:
बहुत खूब
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