Jan 5, 2018

इन लम्हों के दामन में-जोधा अकबर २००८

फिल्म जोधा अकबर से एक और गीत सुनते हैं जिसे सोनू निगम और
मधुश्री ने गाया है. जावेद अख्तर के बोल हैं और ऐ आर रहमान का
संगीत है.




गीत के बोल:

इन लम्हों के दामन में
पाकीज़ा से रिश्ते हैं
कोई कलमा मोहब्बत का
दोहराते फ़रिश्ते हैं
खामोश सी है ज़मीं हैरान सा फ़लक है
इक नूर ही नूर सा अब आसमां तलक है
नगमें ही नगमें हैं जागती शोती फ़िज़ाओं में
हुस्न है सारी अदाओं में इश्क है जैसे हवाओं में
हो ओ ओ नगमें ही नगमें हैं जागती-सोती फ़िज़ाओं में
हुस्न है सारी अदाओं में इश्क है जैसे हवाओं में

कैसा ये इश्क है कैसा ये ख्वाब है
कैसे जज़्बात का उमड़ा सैलाब है
कैसा ये इश्क है कैसा ये ख्वाब है
कैसे जज़्बात का उमड़ा सैलाब है
दिन बदले रातें बदली बातें बदली
जीने के अंदाज़ ही बदले हैं

इन लम्हों के दामन में
पाकीज़ा से रिश्ते हैं
कोई कलमा मोहब्बत का
दोहराते फ़रिश्ते हैं

समय ने ये क्या किया बदल दी है काया
तुम्हें मैंने पा लिया मुझे तुमने पाया
मिले देखो ऐसे हैं हम के दो सुर हों जैसे मद्धम
कोई ज़्यादा ना कोई कम किसी राग में
के प्रेम-आग में  जलते दोनों ही के
तन भी हैं मन भी मन भी हैं तन भी
तन भी हैं मन भी मन भी हैं तन भी

मेरे ख़्वाबों के इस गुलिस्ता में
तुमसे ही तो बहार छाई है
फूलों में रंग मेरे थे लेकिन
इनमें खुशबू तुम्हीं से आई है

क्यूँ है ये आरज़ू क्यूँ है ये जुस्तजू
क्यूँ दिल बेचैन है क्यूँ दिल बेताब है
क्यूँ है ये आरज़ू क्यूँ है ये जुस्तजू
क्यूँ दिल बेचैन है क्यूँ दिल बेताब है
दिन बदले रातें बदली बातें बदली
जीने के अंदाज़ ही बदले हैं

इन लम्हों के दामन में
पाकीज़ा से रिश्ते हैं
कोई कलमा मोहब्बत का
दोहराते फ़रिश्ते हैं
नगमें ही नगमें हैं जागती सोती फ़िज़ाओं में
हुस्न है सारी अदाओं में इश्क है जैसे हवाओं में
इश्क है जैसे हवाओं में
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In lamhon ke daman mein-Jodha Akbar 2008

Artists: Hritik Roshan, Aishwarya Rai

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