गुज़रा हुआ ज़माना-शीरीं फरहाद १९५६
में कुछ दिलकश नगमे हैं जिन्हें आप बिलकुल भी नज़र अंदाज़
नहीं कर सकते अगर आप वाकई संगीत रसिक हैं. हाँ, स्पोंसर्ड
समीक्षक हैं तो बात अलग है या आपने कसम खा रखी है कि
कुछ गिने चुने संगीतकारों के अलावा आप किसी और की प्रशंसा
नहीं करेंगे तो सवाल खड़ा ही नहीं होता किसी बात पर.
लता मंगेशकर के गाये गीतों पर चर्चा प्रस्तुत गीत के बिना अधूरी
है. इस गीत ने संगीतकार एस मोहिंदर और इस गीत के गीतकार
तनवीर नकवी को भी उम्दा गीतों के इतिहास के पन्नों में स्थान
दिलाया. अनिल बिश्वास और सी रामचंद्र के संगीत वाले लता के
गाये गीतों का जो इफेक्ट है उसमें थोड़ी सी चित्रगुप्त के ओर्केस्ट्रा
का ब्लेंड दे दीजिए और थोड़ी सी हेमंत कुमार के संगीत वाली
अंडरप्ले फिर रोशन अंदाज़ का तबला, आपको मिल गया ये गीत.
कुछ बचा है, हाँ बर्मन दादा और शंकर जयकिशन का लता से
ऊंचे स्केल पर गवाने का अंदाज़, वो भी मिला लें. इन सब पर
मधुबाला का चेहरा, कुल मिला कर क़यामत है ये गीत. गाने की
धुन इतनी मासूम है कि मेरा दावा है आप गीत के वीडियो के
अंत तक पहुँचते पहुँचते यकीन कर लेंगे कि इसे मधुबाला खुद गा
रही हैं.
ये सब तो खैर तुलना के लिए बताया गया है. एस मोहिंदर एक
प्रतिभाशाली और आलराउंडर किस्म के संगीतकार थे. गीतों की
सभी किस्मों पर उनकी समान रूप से पकड़ थी.
गीत के बोल:
गुज़रा हुआ ज़माना आता नहीं दुबारा
हाफ़िज़ खुदा तुम्हारा
खुशियाँ थीं चार पल की आँसू हैं उम्र भर के
तन्हाइयों में अक़्सर रोएंगे याद कर के
दो वक़्त जो के हमने इक साथ है गुज़ारा
हाफ़िज़ खुदा तुम्हारा
मेरी क़सम है मुझको तुम बेवफ़ा न कहना
मजबूर थी मुहब्बत सब कुछ पड़ा है सहना
तूफ़ाँ है ज़िन्दगी का अब आखिरी सहारा
हाफ़िज़ खुदा तुम्हारा
मेरे लिये सहर भी आई है रात बन कर
निकला मेरा जनाज़ा मेरी बरात बन कर
अच्छा हुआ जो तुमने देखा न ये नज़ारा
हाफ़िज़ खुदा तुम्हारा
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Guzra hua zamana-Shirin Farhad 1956
Artist: Madhubala
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