लाल छड़ी मैदान खड़ी-जानवर १९६५
था अब सन १९६५ की जानवर के गीतों को भी सुन लिया जाए.
फिल्म में अगर आप चार टांग वाले जानवरों को ढूँढने लग जाएँ
तो आपको बता दूं ये कोई चिनप्पा देवर की फिल्म नहीं है., इसमें
केवल दो टांग वाले ही हैं.
गीत सुनते हैं शम्मी कपूर और राजश्री पर फिल्माया गया. अपने
ज़माने का एक हिट गीत है ये जिसे मजनू और आशिकों ने कुछ
ज्यादा ही पसंद किया था. रफ़ी ने इसे गाया है. बोल शैलेन्द्र के
हैं और आपको हसरत वाला अंदाज़ गीत में मिलेगा. इसका संगीत
शंकर जयकिशन ने तैयार किया है.
गीत के बोल:
लाल छड़ी मैदान खड़ी क्या खूब लड़ी
क्या खूब लड़ी
हम दिल से गये हम जाँ से गये
बस आँख मिली और बात बढ़ी
लाल छड़ी मैदान खड़ी क्या खूब लड़ी
क्या खूब लड़ी
हम दिल से गये हम जाँ से गये
बस आँख मिली और बात बढ़ी
लाल छड़ी मैदान खड़ी क्या खूब लड़ी
वो तीखे तीखे दो नैना उस शोख से आँख मिलाना था
देनी थी क़यामत को दावत एक आफ़त से टकराना था
वो तीखे तीखे दो नैना उस शोख से आँख मिलाना था
देनी थी क़यामत को दावत एक आफ़त से टकराना था
मत पूछो हम पर क्या गुज़री
बिजली सी गिरी और दिल पे पड़ी
हम दिल से गये हाय
हम दिल से गये हम जाँ से गये
बस आँख मिली और बात बढ़ी
तन तन कर ज़ालिम ने अपना हर तीर निशाने पर मारा
तन तन कर ज़ालिम ने अपना हर तीर निशाने पर मारा
है शुक्र की अब तक ज़िंदा हूँ मैं दिल का घायल बेचारा
है शुक्र की अब तक ज़िंदा हूँ मैं दिल का घायल बेचारा
उसे देख के लाल दुपट्टे में
मैने नाम दिया है लाल छड़ी
हम दिल से गये हाय
हम दिल से गये हम जाँ से गये
बस आँख मिली और बात बढ़ी
लाल छड़ी मैदान खड़ी क्या खूब लड़ी
क्या खूब लड़ी
हम दिल से गये हम जाँ से गये
बस आँख मिली और बात बढ़ी
लाल छड़ी मैदान खड़ी क्या खूब लड़ी
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Laal chhadi maidan khadi-Jaanwar 1965
Artists: Shammi Kapoor, Rajshri
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