Feb 15, 2018

वो तो जाते जाते हमसे-आँख मिचौली १९६२

एक मधुर गीत सुनते हैं सन १९६२ की फिल्म आँख मिचौली से.
गीत मजरूह सुल्तानपुरी ने लिखा  है जिसकी तर्ज़ तैयार की है
चित्रगुप्त ने.

इस गीत को सुन कर सलिल चौधरी का संगीत भी याद आता
है. अंतरे में तो शत प्रतिशत याद आता है. वर्मा प्रोडक्शंस द्वारा
निर्मित इस फिल्म का निर्देशन रवींद्र दवे ने किया था.

गीत मुकेश ने गाया है और इसे शायद शेखर नाम के कलाकार
परदे पर गा रहे हैं, साथ हैं अभिनेत्री माला सिन्हा जिनके लिए ये
गाया जा रहा है.



गीत के बोल:

वो तो जाते जाते हमसे खफ़ा हो गये
हम भी बैठे बैठे उनपे फ़िदा हो गये
वो तो जाते जाते हमसे खफ़ा हो गये
हम भी बैठे बैठे उनपे फ़िदा हो गये

यूँ ही राहों में उन की बाहों को
जब हम लगे थामने
लहराये से बलखाये से
वो रुके मेरे सामने
यूँ ही राहों में उन की बाहों को
जब हम लगे थामने
लहराये से बलखाये से
वो रुके मेरे सामने
फिर भी रुकते रुकते वो तो हवा हो गये
हम भी बैठे बैठे उनपे फ़िदा हो गये

वो तो जाते जाते हमसे खफ़ा हो गये
हम भी बैठे बैठे उनपे फ़िदा हो गये

आँखों आँखों में बातों बातों में
मैंने छेड़ी जो रागिनी
ये न पूछिये कैसे रूठी है
गोरे मुखड़े की चाँदनी
आँखों आँखों में बातों बातों में
मैंने छेड़ी जो रागिनी
ये न पूछिये कैसे रूठी है
गोरे मुखड़े की चाँदनी
गेसू बिखरे-बिखरे काली घटा हो गये
हम भी बैठे बैठे उनपे फ़िदा हो गये

वो तो जाते जाते हमसे खफ़ा हो गये
हम भी बैठे बैठे उनपे फ़िदा हो गये

कैसा हँसना जी कैसा मिलना जी
नहीं पूछा मिज़ाज भी
दिल भी है वोही हम भी हैं वोही
जिन के लिये आज भी
कैसा हँसना जी कैसा मिलना जी
नहीं पूछा मिज़ाज भी
दिल भी है वोही हम भी हैं वोही
जिन के लिये आज भी
वो ही मिलते-मिलते हम से जुदा हो गये
हम भी बैठे बैठे उनपे फ़िदा हो गये

वो तो जाते जाते हमसे खफ़ा हो गये
हम भी बैठे बैठे उनपे फ़िदा हो गये
…………………………………………..
Wo to jaate jaate hamse-Aankh micholi 1962

Artists: Shekhar, Mala Sinha

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