Feb 16, 2018

किसके लिए रुका है-एक साल १९५७

चिनप्पा देवर ने जो करिश्माई फ़िल्में बनाईं पशुओं और चौपायों को
ले कर उन्हें देख कर इंसान आश्चर्य करता है कि वे भी कलाकारों
जैसा और उनसे बेहतर अभिनय कर सकते हैं. सभी पालतू पशुओं
पर लगभग गीत बन चुके हैं या गीतों में उनका उल्लेख किया जा
चुका है.

मगरमच्छ और घड़ियाल पर शायद गीत नहीं बने हैं. एक घड़ियाल
वाला गीत ज़रूर है मगर ये घड़ियाल वो नहीं है जो आप समझ रहे
हैं. ये हैं बड़ी घडी जिसे हम घड़ियाल कहते हैं. पुराने कई शहरों में
आप ऐसी बड़ी घडी देख सकते हैं चालू या बंद. इन्हें चलने के लिए
बड़े बड़े मेकेनिज्म लगे होते हैं. काफी बड़ी घड़ियों में चाबी भरने के
लिए तो हृष्ट पुष्ट व्यक्ति की ज़रूरत होती है.

प्रेम धवन का गीत है जिसे रफ़ी ने गाया है. इसकी संगीत रचना
रवि की है. गीत फिल्म में टुकड़ों टुकड़ों में बजता है. गाफिल का
अर्थ है असवाधान या बेसुध और गरदूँ का अर्थ है समय.




गीत के बोल:

ग़ाफ़िल तुझे घड़ियाल ये देता है मुनादी
गरदूँ ने घड़ी उम्र की एक और घटा दी

किसके लिए रुका है किसके लिए रुकेगा
करना है जो भी कर ले ये वक़्त जा रहा है
करना है जो भी कर ले ये वक़्त जा रहा है
ये वक़्त जा रहा है
किसके लिए रुका है किसके लिए रुकेगा
करना है जो भी कर ले ये वक़्त जा रहा है
ये वक़्त जा रहा है
किसके लिए रुका है

पानी का बुलबुला है इन्सान की ज़िन्दगानी
दम भर का ये फ़साना पल भर की ये कहानी
हर साँस साथ अपने पैग़ाम ला रहा है
हर साँस साथ अपने पैग़ाम ला रहा है
करना है जो भी कर ले ये वक़्त जा रहा है
ये वक़्त जा रहा है
किसके लिए रुका है

दुनिया बुरा कहे तो इल्ज़ाम ये उठा ले
खुद मिट के भी किसी की तू ज़िन्दगी बचा ले
दिल का चिराग़ तुझको रस्ता दिखा रहा है
दिल का चिराग़ तुझको रस्ता दिखा रहा है
करना है जो भी कर ले ये वक़्त जा रहा है
ये वक़्त जा रहा है
किसके लिए रुका है

काँटे जो बोये तूने तो फूल कैसे पाए
तेरे गुनाह ही आख़िर हैं आज रंग लाए
अब सोच में क्यों पगले घड़ियाँ गंवा रहा है
करना है जो भी कर ले ये वक़्त जा रहा है
करना है जो भी कर ले ये वक़्त जा रहा है
ये वक़्त जा रहा है
किसके लिए रुका है
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Kiske liye ruka hai-Ek saal 1957

Artist: Ashok Kumar

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