एक मुसाफिर को दुनिया में क्या-दूर की आवाज़ १९६४
गया है जॉनी वॉकर पर. रफ़ी ने जॉनी वॉकर के लिए कई गीत
गाये हैं.
शकील बदायूनीं के बोल हैं और रवि का संगीत. इस फिल्म में
रफ़ी के कई अंदाज़ वाले गीत हैं जिनमें से एक बच्चों वाला गीत
भी है.
गीत के बोल:
इक मुसाफ़िर को दुनिया में क्या चाहिए
सिर्फ़ थोड़ी सी दिल में जगह चाहिए
इक मुसाफ़िर को दुनिया में क्या चाहिए
सिर्फ़ थोड़ी सी दिल में जगह चाहिए
बैठ जाऊँ
ओ मोटे लाला तूने किया है कैसा छल
टिकट तेरा सिंगल मगर तू डबल
ओ मोटे लाला तूने किया है कैसा छल
टिकट तेरा सिंगल मगर तू डबल
खिसक ज़रा प्यारे सरक ज़रा प्यारे
खिसक ज़रा प्यारे सरक ज़रा प्यारे
ऐसी बॉडी में दिल भी बड़ा चाहिए
इक मुसाफ़िर को दुनिया में क्या चाहिए
सिर्फ़ थोड़ी सी दिल में जगह चाहिए
बैठ जाऊँ
ओ नकली दाढ़ी वाले तू गुस्सा मत कर
हमें भी जगह दे दे ज़रा ख़ुदा से डर
ओ नकली दाढ़ी वाले तू गुस्सा मत कर
हमें भी जगह दे दे ज़रा ख़ुदा से डर
खिसक ज़रा प्यारे सरक ज़रा प्यारे
खिसक ज़रा प्यारे सरक ज़रा प्यारे
तेरा फोटो न तेरा पता चाहिए
इक मुसाफ़िर को दुनिया में क्या चाहिए
सिर्फ़ थोड़ी सी दिल में जगह चाहिए
बैठ जाऊँ
हम पर भी कर दो ज़रा इनायत की नज़र
ख़ुशी से कट जाए हमारा भी सफ़र
हम पर भी कर दो ज़रा इनायत की नज़र
ख़ुशी से कट जाए हमारा भी सफ़र
खिसक ज़रा प्यारे सरक ज़रा प्यारे
खिसक ज़रा प्यारे सरक ज़रा प्यारे
यूँ किसी का न दिल तोड़ना चाहिए
इक मुसाफ़िर को दुनिया में क्या चाहिए
सिर्फ़ थोड़ी सी दिल में जगह चाहिए
इक मुसाफ़िर को दुनिया में क्या चाहिए
सिर्फ़ थोड़ी सी दिल में जगह चाहिए
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Ik musafir ko duniya mein kya-Door ki awaaz 1964
Artist: Johny Walker
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