Mar 17, 2018

जब से हम तुम बहारों में १-मैं शादी करने चला १९६२

सन १९६२ की इस फिल्म को मन्ना डे के बढ़िया गीत के लिए
हमेशा याद कर लेते हैं. इस फिल्म में कुछ और भी कर्णप्रिय गीत
हैं जिनमें से एक हम आज सुनेंगे.

ये है रफ़ी और सुमन कल्यानपुर का गाया हुआ एक युगल गीत.
मजरूह के बोल हैं और चित्रगुप्त का संगीत.

अलग तरीके का युगल गीत है जिसमें पंक्ति के दो दो शब्द अलग
आवाजों में हैं. इस तरह के युगल गीत बेहतर सुनाई देते हैं, इस
बारे में आपकी क्या राय है?



गीत के बोल:

जब से हम तुम बहारों में हो बैठे गुम नज़ारों में
जैसे ये ज़िंदगी प्यासी आँखों का ख़्वाब है
जब से हम तुम बहारों में हो बैठे गुम नज़ारों में
जैसे ये ज़िंदगी प्यासी आँखों का ख़्वाब है

होंठों पे प्यार की मीठी सी रागिनी
चहरे पे आरज़ू की धीमी-धीमी रोशनी
होंठों पे प्यार की मीठी सी रागिनी
चहरे पे आरज़ू की धीमी-धीमी रोशनी
धीमी-धीमी रोशनी
मेरी धड़कन तेरी बातें तेरे जलवे मेरी आँखें
जैसे ये रोशनी जागी आँखों का ख़्वाब है

जब से हम तुम बहारों में हो बैठे गुम नज़ारों में
जैसे ये ज़िंदगी प्यासी आँखों का ख़्वाब है

जो नैना मोड़ के दो नैना जोड़ दे
जो इतना शोख है वो शरमाना भी छोड़ दे
जो नैना मोड़ के दो नैना जोड़ दे
जो इतना शोख है वो शरमाना भी छोड़ दे
वो शरमाना भी छोड़ दे
ये शोखी सी निगाहों की ये चोरी सी अदाओं की
जैसे ये दिल्लगी जागी आँखों का ख़्वाब है

जब से हम तुम बहारों में हो बैठे गुम नज़ारों में
जैसे ये ज़िंदगी प्यासी आँखों का ख़्वाब है
…………………………………………………….
Jab se ham tum baharon mein-Main shadi karne chala 1962

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