काहे करता देर बाराती-औरत १९४०
किया जाए. इस बार सुनते हैं एक ऐसा गीत जिसे संगीतकार
ने खुद गाया है.
सन १९४० की फिल्म औरत के लिए इसे अनिल बिश्वास ने
गाया है. गीत के बोल सफ़दर आह सीतापुरी के हैं.
गीत के बोल:
काहे
काहे करता देर बाराती
देर बाराती
काहे करता देर
काहे करता देर
काहे
काहे करता देर बाराती
देर बाराती
काहे करता देर
काहे करता देर
जाना है तोहे पी की नगरिया
जाना है
जाना है तोहे पी की नगरिया
कठिन बड़ी है डगरिया
हो जाये न अबेर ज़रा सी
हो जाये न अबेर ज़रा सी
काहे करता देर
काहे करता देर
काहे करता देर
काहे करता देर
काहे
काहे करता देर बाराती
देर बाराती
काहे करता देर
काहे करता देर
काहे
काहे करता देर बाराती
देर बाराती
काहे करता देर
काहे करता देर
कैसा रिश्ता कैसा नाता
कैसा नाता
काहे मन को फँसाता
कैसा रिश्ता कैसा नाता
कैसा रिश्ता
कैसा नाता
कैसा नाता
काहे मन को फँसाता
सब है भरम का फेर बाराती
सब है भरम का फेर
भरम का फेर
सब है भरम का फेर बाराती
सब है भरम का फेर
भरम का फेर
सब है भरम का फेर बाराती
काहे करता देर
काहे करता देर
काहे करता देर
काहे करता देर
काहे
काहे करता देर बाराती
देर बाराती
काहे करता देर
काहे करता देर
काहे
काहे करता देर बाराती
देर बाराती
काहे करता देर
काहे करता देर
जाना है तोहे पी की नगरिया
जाना है
जाना है तोहे पी की नगरिया
कठिन बड़ी है डगरिया
हो जाये न अबेर ज़रा सी
हो जाये न अबेर ज़रा सी
काहे करता देर
काहे करता देर
काहे करता देर
काहे करता देर
काहे
काहे करता देर बाराती
देर बाराती
काहे करता देर
काहे करता देर
काहे
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Kaahe karta der barati-Aurat 1940
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