Mar 18, 2018

या मेरी मंजिल बता-राखी १९६२

मनुष्य की हालत कभी कभी ऐसी हो जाती है कि वो ईश्वर से
बर्बादी का आशीर्वाद मांगने लगता है. ये सब असामान्य और
कुटिल-जटिल परिस्थितियों की वजह से होता है. जिन पर ये
गुजरती है वो तो बेइंतहा कष्ट पाते हैं और ऐसे लोगों को देख
कर दुनिया मजाक बनाया करती है. 

ऐसी भावनाओं को दर्शाता एक गीत है १९६२ की फिल्म राखी
से राजेंद्र कृष्ण का लिखा हुआ. रवि के संगीत निर्देशन में रफ़ी
ने इसे गाया है.



गीत के बोल:   

या मेरी मंज़िल बता या ज़िन्दगी को छीन ले
या मेरी मंज़िल बता या ज़िन्दगी को छीन ले
जिसके पीछे ग़म लगे हों उस ख़ुशी को छीन ले
या मेरी मंज़िल बता या ज़िन्दगी को छीन ले

दे नहीं सकता अगर आराम का इक साँस भी
दे नहीं सकता अगर आराम का इक साँस भी
पाँव मेरे तोड़ दे आवारग़ी को छीन ले

या मेरी मंज़िल बता या ज़िन्दगी को छीन ले
जिसके पीछे ग़म लगे हों उस ख़ुशी को छीन ले
या मेरी मंज़िल बता या ज़िन्दगी को छीन ले

आँख में आँसू कहाँ रो दूँ जो अपने हाल पर
आँख में आँसू कहाँ रो दूँ जो अपने हाल पर
आ गई जो अपने ग़म पर उस हँसी को छीन ले

या मेरी मंज़िल बता या ज़िन्दगी को छीन ले
जिसके पीछे ग़म लगे हों उस ख़ुशी को छीन ले
या मेरी मंज़िल बता या ज़िन्दगी को छीन ले
या मेरी मंज़िल बता या ज़िन्दगी को छीन ले
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Ya meri manzil bata-Rakhi 1962

Artist: Ashok Kumar, Waheeda Rehman

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