अलबेला मस्ताना-वापस १९४३
गीत सुनते हैं. सुप्रोवा नाम की गायिका की आवाज़ में
ये गीत है. उनकी गायकी तो अपने समकालीनों की
ही तरह है मगर आवाज़ स्पष्ट है.
गीत पंडित भूषण का है और संगीत राय चंद्र बोराल का.
उस समय दो वर्ज़न रेकोर्ड किये जाते थे. फिल्म के लिए
सुप्रोवा सरकार/चटर्जी ने गाया है और ७८ चकरी के लिए
बिनोता रॉय ने.
गीत के बोल:
अलबेला मस्ताना
इक हंसों का जोड़ा
अलबेला मस्ताना
नीले आकाश में दूर दूर तक
उड़ता पंख पसार
उड़ता पंख पसार
नीले आकाश में दूर दूर तक
उड़ता पंख पसार
उड़ता पंख पसार
अलबेला मस्ताना
इक हंसों का जोड़ा
अलबेला मस्ताना
मधुर किलोले करता फिरता
मधुर किलोले करता फिरता
मस्ती भरी हवाओं में
मस्ती भरी हवाओं में
झूम झूम झूम
चूम चूम चूम
झूम झूम मुख चूम चूम कर
उड़ता उड़ता दसों दिशाओं में
उड़ता दसों दिशाओं में
तारों से कुछ गुपचुप कहता
प्रेम नशे में डूबा रहता
तारों से कुछ गुपचुप कहता
प्रेम नशे में डूबा रहता
चाँद से चोंच मिलाता जा कर
मेघ से करता प्यार
मेघ से करता प्यार
अलबेला मस्ताना
इक हंसों का जोड़ा
अलबेला मस्ताना
धरती पर जो कभी उतरता
बच्चों का दम हरदम हरता
धरती पर जो कभी उतरता
बच्चों का दम हरदम हरता
उनकी खातिर जान लड़ाता
खोज खोज कर वो ही लाता
रंग उमंग भरी दुनिया में
रंग उमंग भरी दुनिया में
करता मौज बहार
करता मौज बहार
अलबेला मस्ताना
इक हंसों का जोड़ा
अलबेला मस्ताना
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Albela mastana-Wapas 1943
Artst: Bharti Devi
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