एक छोटा सा मन्दिर बनायेंगे-ग्रामोफोन सिंगर १९३८
गीतों में एजेंडे भी कम होते थे मसलन इसी गीत को ले लीजिए
इसमें छोटा सा मंदिर बनाने की बात है और उसके बाद यूँ ही
जिंदगी बिताने की बात है. ज्यादा हीले-हवाले नहीं हैं और एक
सिंपल सा गीत सामने है.
जिया सरहदी ने इसे लिखा है, सुरेन्द्र ने गाया है और इस गीत
की धुन अनिल बिश्वास ने तैयार की है.
गीत के बोल:
एक छोटा सा मन्दिर बनायेंगे
एक छोटा सा मन्दिर बनायेंगे
अपनी देवी को उसमें बिठायेंगे
अपनी देवी को उसमें बिठायेंगे
एक छोटा सा मन्दिर बनायेंगे
एक छोटा सा मन्दिर बनायेंगे
रोज़ फूलों से उसको सजायेंगे
रोज़ फूलों से उसको सजायेंगे
यूँ ही अपनी उमरिया बितायेंगे
यूँ ही अपनी उमरिया बितायेंगे
एक छोटा सा मन्दिर बनायेंगे
एक छोटा सा मन्दिर बनायेंगे
अपनी देवी को उसमें बिठायेंगे
अपनी देवी को उसमें बिठायेंगे
एक छोटा सा मन्दिर बनायेंगे
एक छोटा सा मन्दिर बनायेंगे
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Ek chhota sa mandir banayenge-Gramphone singer 1938
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