May 22, 2018

मनवा काहे फिर तड़पाए-वापस १९४३

सुनते हैं सन १९४३ की फिल्म वापस से एक गीत सुप्रोवा
सरकार का गाया हुआ.  अख्तर चुघताई ने इसे लिखा है
और संगीत है आर. सी. बोराल का. परदे पर होंठ हिलाए
हैं भारती देवी ने.

जिन लोगों को जूनी पुरानी फिल्मों की जानकारी है उन्हें
बॉलीवुड वालों से गोल्ड मेडल मिलना चाहिए. ३० और ४०
के दशक की अधिकाँश और बाद के दशकों की भी ढेर
सारी फिल्मों का विवरण उपलब्ध नहीं है. खोज जारी है
और कुछ ऊर्जावान, समर्थ व्यक्ति जिन्हें विंटेज शब्द से
लगाव है वे कर रहे हैं सार्थक प्रयास. उन सबको एडवांस
में शुभकामनाएं.





गीत के बोल:

मनवा काहे फिर तड़पाए
मनवा काहे फिर तड़पाए
भूल गयी थी जो बरसातें
भूल गयी थी जो बरसातें
चांदनी रातें प्यार की बातें
चांदनी रातें प्यार की बातें
अब क्यूँ रह रह कर हाय
मन को उनकी याद सताए
मनवा काहे फिर तड़पाए

जाग उठे क्यूँ नींद के मारे
कहे रे सपने रिश्ते नाते
छोड़ चुकी थी जिस जीवन को
छोड़ चुकी थी जिस जीवन को
काहे याद में आऐ
मनवा काहे फिर तड़पाए

याद किसी की दिल में आई
नैनन ने फिर झड़ी लगायी
याद किसी की दिल में आई
नैनन ने फिर झड़ी लगायी
मन का पंछी क्यूँ मन में है
मन का पंछी क्यूँ मन में है
भूले राग सुनाये मनवा
भूले राग सुनाये
मनवा काहे फिर तड़पाए
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Manwa kaah tadpaaye-Wapas 1943

Artist: Bharti Devi

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