तुमने मुझसे प्रेम जता कर-वापस १९४३
विशेषता ये है कि इसमें आँख लगने के दोनों तरीकों का
प्रयोग किया गया है. कुछ गीतों में आपने ‘आग लगी’ के
दो प्रयोग देखे होंगे. उस अनूठा है.
मुंशी ज़ाकिर हुसैन इस गीत के लेखक हैं. मुंशी एक उपाधि
है. ये पुराने कुछ गीतकारों के नाम के आगे लगा करता था.
इसकी वजह कोई पुरा-संगीत-प्रेमी बतलायेगा ?
गीत के बोल:
तुमने मुझसे प्रेम जता कर
तुमने मुझसे प्रेम जता कर
दुनिया से बेगाना किया
दुनिया से बेगाना किया
दिल था इक सख दुःख का साथी
दिल था इक सख दुःख का साथी
उसको भी दीवाना किया
उसको भी दीवाना किया
तुमने मुझसे प्रेम जता कर
दुनिया से बेगाना किया
दिल का शीशा नाज़ुक शीशा
दिल का शीशा नाज़ुक शीशा
ठेस लगी बस चूर हुआ
ठेस लगी बस चूर हुआ
बीती जो कुछ मुझ पर बीती
बीती जो कुछ मुझ पर बीती
लोगों ने अफसाना किया
लोगों ने अफसाना किया
तुमने मुझसे प्रेम जता कर
दुनिया से बेगाना किया
हा आ आ आ आ आ आ आ आ
तुमसे जो उस दिन आँख लगी
अब तक न हमारी आँख लगी
ही ही ही तुमसे जो उस दिन आँख लगी
अब तक न हमारी आँख लगी
दर्द का सौदा मोल लिया
दर्द का सौदा मोल लिया
सुख चैन तुम्हें नज़राना किया
सुख चैन तुम्हें नज़राना किया
तुमने मुझसे प्रेम जता कर
दुनिया से बेगाना किया
दुनिया से बेगाना किया
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Tumne mujse prem hata kar-Wapas 1943
Artist: Asit Baran
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