रामा दुहाई रामा दुहाई-आया सावन झूम के १९६९
आया सावन झूम के से. गीत लता मंगेशकर ने गाया है.
छत पे जनता क्यूँ सोती है. किसी ज़माने में पंखा नहीं होता था
तब जनता छत पर सोया करती थी. आज भी ये चलन में है. अब
सवाल ये है क्या गर्मी के अलावा सर्दी और बारिश में भी सोती है.
गीत और संगीत क्रमशः आनंद बक्षी और लक्ष्मी प्यारे का है.
गीत के बोल:
सुन री सखी हौले हौले इबलक जिया मेरा डोले
कल रात छत पे मैं सोयी सपने में आया रे कोई
आ के पकड़ ली मेरी नाज़ुक कलाई
रामा दुहाई मेरे रामा दुहाई रामा दुहाई मेरे रामा दुहाई
बैयाँ मरोड़ी चूडियाँ तोड़ी
हाय हाय पूछो ना जी क्या मेरी हालत बनाई
रामा दुहाई मेरे रामा दुहाई
सखियाँ हो तुम बस नाम की मेरे साथी सवेरे शाम की
सखियाँ हो तुम बस नाम की मेरे साथी सवेरे शाम की
तुम्हें आवाज़ दे के पुकारा नाम ले के
मुसीबत मुझपे पड़ी रही सब दूर खड़ी
कोई सहेली मेरे पास नहीं आई
रामा दुहाई रामा दुहाई रामा दुहाई मेरे रामा दुहाई
वो रंग है ना रूप है वो छांव है ना धूप है
वो रंग है ना रूप है वो छांव है ना धूप है
हुआ क्या जाने मुझे कोई पहचाने मुझे
के देखी आईने में जो सूरत आज मैंने
मैं अपनी सूरत ना पहचान पाई
रामा दुहाई रामा दुहाई रामा दुहाई मेरे रामा दुहाई
पलकों पे मुझको बिठाया मुझे ऐसे गले से लगाया
पलकों पे मुझको बिठाया मुझे ऐसे गले से लगाया
लड़ी मैं आँख लड़ी बड़ी मुश्किल में पड़ी
रहूँ चुप तो जी डरे न जाने क्या है रहे
शोर मचाऊं तो हो जाए रुसवाई
रामा दुहाई मेरे रामा दुहाई रामा दुहाई मेरे रामा दुहाई
बैयाँ मरोड़ी चूडियाँ तोड़ी
हाय हाय पूछो ना जी क्या मेरी हालत बनाई
रामा दुहाई मेरे रामा दुहाई
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Rama duhai Rama duhai-Aaya sawan jhoom ke 1969
Artists: Asha Parekh
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