ज़िन्दगी आज मेरे नाम से-सन ऑफ इंडिया १९६२
नायक मैले कुचेले कपड़ों में दिखलाई दे रहा है. हिंदी फिल्मों
में ये दृश्य दुर्लभ हैं. फिल्म कागज़ के फूल के बाद शायद
६० के दशक में ये पहला मौका था. ७० के दशक में फिल्म
आप की कसम में राजेश खन्ना को एक गीत में इस अवस्था
में देखा गया. कहानी की हर मांग को ज़रूरी नहीं हर निर्देशक
पूरा करे.
सन ऑफ इण्डिया महबूब खान की फिल्म है इसलिए उसमें
हम रियलिटी को महसूस कर सकते हैं. गीत रफ़ी ने गाया
है शकील के बोलों पर जिसकी धुन तैयार की है नौशाद ने.
आर आज इस फिल्म का रीमेक बने तो उसके लिए चेहरे
के हिसाब से उपयुक्त उम्मीदवार होंगे रणवीर सिंह.
गीत के बोल:
ज़िन्दगी आज मेरे नाम से शरमाती है
ज़िन्दगी आज मेरे नाम से शरमाती है
अपने हालात पे मुझे खुद ही हँसी आती है
ज़िन्दगी आज मेरे नाम से शरमाती है
एक ग़म चैन से जीने नहीं देता मुझको
एक ग़म चैन से जीने नहीं देता मुझको
एक उलझन है जो अक्सर मुझे तड़पाती है
ज़िन्दगी आज मेरे नाम से शरमाती है
इस तरह छोड़ के निकला हूँ मैं अपनी मंज़िल
इस तरह छोड़ के निकला हूँ मैं अपनी मंज़िल
जैसे हसरत कोई सीने से निकल जाती है
ज़िन्दगी आज मेरे नाम से शरमाती है
राह चलते हुए कुछ सोच के रुक जाता हूँ
राह चलते हुए कुछ सोच के रुक जाता हूँ
हर क़दम पर कोई भूली हुई याद आती है
ज़िन्दगी आज मेरे नाम से शरमाती है
अपने हालात पे मुझे खुद ही हँसी आती है
ज़िन्दगी आज मेरे नाम से शरमाती है
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Zindagi aaj mere naam se-Son of India 1962
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