Apr 30, 2018

आग लगी तन मन में-आन १९५२

आग दो तरह से लगती है- तन बदन में और तन मन में.
कौनसी धुंआ ज्यादा दुआं निकालती है ये तो नहीं मालूम
मगर इतना तो है तन-मन शब्दों को प्रयोग कोमल भावों
के लिए ज्यादा किया जाता है.

हिंदी सिनेमा में हीरो के साथ साइड-किक और हीरोइन के
साथ साइड-किकनी ज़रूर होते हैं. इनके बिना कथानक में
रोचकता नहीं आती है. सहेली या सहेला आपको ऐतिहासिक
कथानकों में ज्यादा मिलेंगे.

सुनते हैं फिल्म आन से शमशाद बेगम का गाया हुआ गीत
गीत संगीत क्रमशः शकील बदायूनीं और नौशाद का है.
सुन्दर दृश्यावली है गीत की. जम्बो साइज़ का कमाल का
फूल भी दिखेगा आपको गीत में.



गीत के बोल:

आग लगी तन मन में दिल को पड़ा थामना
राम जाने कब होगा सैयांजी का सामना
आग लगी तन मन में दिल को पड़ा थामना
राम जाने कब होगा सैयांजी का सामना हो

सूनी है आज पिया मोरी अटरिया
पिया मोरी अटरिया ज़रा दीजो खबरिया
दिल तड़पे जैसे बिना जल के मछरिया
ज़रा लीजो खबरिया
सूनी है आज पिया मोरी अटरिया
पिया मोरी अटरिया
दिल तड़पे जैसे बिना जल की मछरिया
ज़रा लीजो खबरिया
आन पड़े मुश्किल तो आये कोई काम ना
राम जाने कब होगा सैयांजी का सामना हूँ

साजन की याद मुझे पल पल सताए
मुझे पल पल सताए देखो नैना भर आये
तन का सिंगार मेरे मन को ना भाये
देखो नैना भर आये
साजन की याद मुझे पल पल सताए
मुझे पल पल सताए
तन का सिंगार मेरे मन को ना भाये
देखो नैना भर आये
प्यार मेरा हो जाए कहीं बदनाम ना
राम जाने कब होगा सैयांजी का सामना हाय

लागी ना छूटे करूं कोई बहाना
करूं कोई बहाना आया नाज़ुक ज़माना
दिल मेरा बना पिया तेरा निशाना
आया नाज़ुक ज़माना
लागी ना छूटे करूं कोई बहाना
करूं कोई बहाना
दिल मेरा बना पिया तेरा निशाना
आया नाज़ुक ज़माना
होये बुरा उल्फत का देखो अंजाम ना
राम जाने कब होगा सैयांजी का सामना
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Aag lagi tan badan mein-Aan 1952

Artists: Sheela Naik, Nadira

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