जिंदगी कब तुमको देखा है-जनम १९८८
गाना सुनते हैं. ये गीत रेयर की श्रेणी में आता है.
सूरज सनीम के बोल हैं, अजित वर्मन का संगीत और इसे
गाया है अमित कुमार ने. गीत में आप फिल्म के नायक
कुमार गौरव को विभिन्न मुद्राओं में देख सकते हैं.
गीत के बोल:
ज़िंदगी ज़िंदगी ज़िंदगी
ज़िंदगी ज़िंदगी ज़िंदगी
कब तुमको देखा है
कब तुमको जाना है तारों के संग
फूलों के रंग में तुमको पाना है
ये मैंने ठाना है तुमको पाना है
ये मैंने ठाना है अपने घर लाना है
ये मैंने ठाना है
बेच डाला मेरे माली ने
मुझे गैरों के हाथ
खुश्क पत्ते की तरह मैं
हो लिया लहरों के साथ
रातों के संग काँटों के रंग में
तुमको पाना है तुमको पाना है
ज़िंदगी ज़िंदगी ज़िंदगी
कब तुमको देखा है
कब तुमको जाना है तारों के संग
फूलों के रंग में तुमको पाना है
ये मैंने ठाना है तुमको पाना है
ये मैंने ठाना है अपने घर लाना है
ये मैंने ठाना है
तुम मेरे साथ हो मैं तेरे साथ हूँ
वो ज़मीन साथ है आसमान साथ है
ये भीगा भीगा जिस्म ये भीगी आरज़ू
ज़िन्दगी मिल गई
ज़िन्दगी है सौदागर
देती है कुछ लेने के बाद
दी बहार मुझको मगर फिर
ली चमन रखने के बाद
साये के संग लहू के रंग में
तुम को पाना है तुम को पाना है
ज़िंदगी ज़िंदगी ज़िंदगी
कब तुमको देखा है
कब तुमको जाना है तारों के संग
फूलों के रंग में तुमको पाना है
ये मैंने ठाना है तुमको पाना है
ये मैंने ठाना है अपने घर लाना है
ये मैंने ठाना है
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Zindagi kab tuko dekha hai-Janam 1988
Artist: Amit Kumar
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