नैनों में बदरा छाये-मेरा साया १९६६
काफी दिलचस्प लगा और उनकी कई फ़िल्में सस्पेंस वाली
बन गयीं. इनमें से ३ फ़िल्में-वो-कौन थी,मेरा साया और
अनिता साधना को ले कर बनाई गईं.
अभिनेत्री को सुन्दर दिखलाने में निर्देशक ने कोई कसर नहीं
छोड़ी. दर्शक अपलक निहारता रहे स्क्रीन को, विशेषकर जब
गाने प्रकट हों फिल्म में.
नायक सुनील दत्त पूरी फिल्म में अलग अलग भावों में मूक
दर्शक से बने दिखलाई दिए, उनके हिस्से के संवाद की पोथी
दरअसल गुम गयी थी या फिर उसे चूहा खा गया था तो इस
वजह से निर्देशक ने सोचा क्यूँ ना ऐसे ही काम चला लिया
जाए, वैसे भी नायक के संवाद नहीं, दर्शक नायिका की मीठी
आवाज़ सुनने आते हैं.
ये तो हमने संभावना जाहिर की है, क्या हुआ होगा. लोग
बरसों से ही ऐसी कहानियां सुना सुन कर अपनी दुकान
चला रहे हैं.
फिल्म के विशेष गीत को लिखा है राजा मेहँदी अली खान
ने और धुन तैयार की है मदन मोहन ने.
गीत के बोल:
नैनों में बदरा छाये बिजुरी सी चमके हाय
ऐसे में बालम मोहे गरवा लगा ले
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Nainon mein badra chhaye-Mera Saya 1966
Artists: Sadhana, Sunil Dutt
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