ये दो दिल हैं चंचल-बेटा १९९२
की एक रचना सुनने को मिल गई. अमर उत्पल
के संगीत से सजा ये गाना अनुराधा पौडवाल और
बाबला मेहता ने गाया है.
दोनों गायकों ने कई कवर वर्ज़न गाने गाये हैं.
बाबला मेहता को मुकेश की आवाज़ के विकल्प
के तौर पर काफी मौके मिले मगर वे अपना स्थान
बनाने में सफल ना हो सके.
संगीतकार अमर उत्पल भी कुछ एक धमाके कर
के गायब हो गए हिंदी फिल्म संगीत क्षेत्र से. वे
सबसे पहले चर्चा में आये फिल्म शहंशाह के गानों
के लिए. उसके अलावा घर में राम गली में श्याम
के १९८८ में ही रिलीज़ हुए शीर्षक गीत के लिए
वे जाने गये. १९९३ में आ जा मेरी जान और
कसम तेरी कसम के गाने भी काफी बजते मिले.
गीत के बोल:
ये दो दिल हैं चंचल हवाओं के झोंके
इन्हें कौन बांधे इन्हें कौन रोके
ये दो दिल हैं चंचल हवाओं के झोंके
इन्हें कौन बांधे इन्हें कौन रोके
कभी चल दिये हम घटाओं के पीछे
कभी रह गये हैं बहारों में खो के
इन्हें कौन बांधे इन्हें कौन रोके
किरण भोर की मेरी बिंदिया बनेगी
किरण भोर की मेरी बिंदिया बनेगी
मेरी मांग में सांझ लाली भरेगी
मेरी मांग में सांझ लाली भरेगी
तेरे संग चली मैं ये सपने संजो के
तेरे संग चली मैं ये सपने संजो के
हमें कौन बांधे हमें कौन रोके
हमें कौन बांधे हमें कौन रोके
लगूं अंग जो मैं बनूँ तेरा गहना
जो काजल बनूँ चूम लूं तेरे नैना
लगूं अंग जो मैं बनूँ तेरा गहना
जो काजल बनूँ चूम लूं तेरे नैना
कभी मैं ये सोचूँ कभी मन ये सोचे
हमें कौन बांधे हमें कौन रोके
हमें कौन बांधे हमें कौन रोके
हो हो हो ओ ओ ओ हो हो हो ओ ओ ओ
हो हो हो ओ ओ ओ हो हो हो ओ ओ ओ
जहाँ जाऊंगी संग तुझे ले चलूंगी
जहाँ जाऊंगी संग तुझे ले चलूंगी
तुझे अपने आँचल से बांधे रहूंगी
तुझे अपने आँचल से बांधे रहूंगी
कहाँ जायेगा तू मेरे मन से हो के
कहाँ जायेगा तू मेरे मन से हो के
हमें कौन बांधे हमें कौन रोके
हमें कौन बांधे हमें कौन रोके
हमें कौन बांधे हमें कौन रोके
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Ye do dil hain chanchal-Beta 1992
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