धानी चुनर मोरी हाय रे-मधु १९५९
हैं फिल्म मधु से. नक्श लायलपुरी के बोल हैं और इसे
रोशन ने संगीत से संवारा है.
इस धुन को आप आगे ८० के दशक के एक गाने में पाएंगे
अगर आप ध्यान से संगीत सुनते हैं.
गीत के बोल:
धानी चुनर मोरी हाय रे
धानी चुनर मोरी हाय रे
जाने कहाँ उड़ी जाये रे
धानी चुनर मोरी हाय रे
आज मेरे आँचल से क्यों लिपटती जाये
जीवन की बगिया में ये किसने फूल खिलाये
नस नस में डोल के घूँघट पट खोल के
आज खुशी लहराये रे
धानी चुनर मोरी हाय रे
धानी चुनर मोरी हाय रे
जाने कहाँ उड़ी जाये रे
धानी चुनर मोरी हाय रे
झूम रहे हैं सपने दो आँखों में लहराके
मन ही मन मुस्काऊँ मैं नई डगर पिया के
पग पग अनजान है नज़र हैरान है
बात मगर मन भाये रे
धानी चुनर मोरी हाय रे
धानी चुनर मोरी हाय रे
जाने कहाँ उड़ी जाये रे
धानी चुनर मोरी हाय रे
चंचल मन ये चाहे मैं उड़ती उड़ती जाऊँ
हो ओ ओ नीलगगन पर जा के चंदा को गले लगाऊँ
सुध-बुध बिसरा गये ये दिन कैसे आ गये
कोई मुझे समझाये रे
धानी चुनर मोरी हाय रे
धानी चुनर मोरी हाय रे
जाने कहाँ उड़ी जाये रे
धानी चुनर मोरी हाय रे
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Dhani chunar mori haye re-Madhu 1959
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