Jul 10, 2018

तुम मुझसे रूठे हो-फिर कब मिलोगी १९७४

दही ले लो दही. आर हम वो वाले नहीं दिमाग के बने
दही की बात कर रहे हैं.

सुनते हैं फिल्म फिर कब मिलोगी का अगला गीत जिसकी
धुन में सस्पेंस, थ्रिलर, रोमांस सभी जेनर का संगीत घुसा
हुआ है. जैसे किसी के शरीर में ढेर सारे भूत घुस जाते हैं
और वो तरह तरह की आवाजें निकालने लगता है वैसे ही
कुछ कुछ....

ये बात तो हुई बिना फिल्म को समझे और देखे जो इस
गाने का असर दिमाग पर होता है उसके बारे में. अब इसके
इस अजीब पहलू के बारे में समझें कि ऐसा प्रभाव लाने
की वजह क्या है. इसका जवाब ही पिछले गीत की तरह
ही दूसरे अंतरे में मौजूद है.

फिल्म की नायिका के दिमाग में उथल पुथल चल रही है
उसे गीत में उतारना है तो कैसे उतारें. क्या ब्रेक अप और
बिछुडन में ऐसा कुछ हो जाता है, आजकल की लड़कियां
तो ब्रेक अप को सेलिब्रेट करती हैं और जा कर आईसक्रीम,
चाट-पकौड़ी खाती हैं.

हृषिकेश मुखर्जी की फिल्म है अतः इसमें कुछ भी मौजूद
है तो उसकी कोई वैलिड वजह है.

बोल एक बार फ़िर से मजरूह के है और धुनपंचम की.
आवाज़ लाता की है और गीत को परदे पर माला सिन्हा
गा रही हैं.




गीत के बोल:

तुम मुझसे रूठे हो चलो माना
बस यूँ ही एक बार
हो सके तो मुड़ के देखो ना
तुम मुझसे रूठे हो चलो माना

थी जो कभी अपने साजन की अलबेली
कैसे भरी दुनिया में खड़ी है वो अकेली
यूँ ही आते जाते कभी तुम भी ज़रा पूछो ना

तुम मुझसे रूठे हो चलो माना
बस यूँ ही एक बार
हो सके तो मुड़ के देखो ना
तुम मुझसे रूठे हो चलो माना

आगे कभी ऐसी न थी बेकल मेरी आँखें
आगे कभी ऐसी न थी बेकल मेरी आँखें
जब से तुम्हें हुई देखा पागल मेरी आँखें
देखे जायें तुम को तुम भी देखो ना

तुम मुझसे रूठे हो चलो माना
…………………………………………
Tum mujhse roothw ho-Phir kab milogi 1974

Artists: Mala Sinha

0 comments:

© Geetsangeet 2009-2020. Powered by Blogger

Back to TOP