इस दुनिया की पगडण्डी पर-आम्रपाली १९४५
जो अमीरबाई कर्नाटकी का गाया हुआ है. इसे लिखा
है कवि प्रदीप ने और क्रेडिट्स में मिस कमल का
नाम है. देशभक्ति वाले गीत अंग्रेजों को पसंद नहीं
आते थे अतः प्रदीप को ये काम करना पड़ा. ऐसा
मैंने कहीं पढ़ा है.
गीत के बोल:
इस दुनिया की पगडण्डी पर
तुम्हीं हो मेरे साथी
इक तुम्हीं हो मेरे साथी
मेरे धुंधले जीवन-पथ पर
तुम ओजा की बाती
इक तुम्हीं हो मेरे साथी
तुम हो मेरे दिन के सूरज
मेरी रात के चन्दा
तुम ने मुझको बाँध लिया है
डाल प्रेम का फ़न्दा
मेरे राजकुमार हँसो
मैं तुम पे बालि बालि जाती
इक तुम्हीं हो मेरे साथी
इस विशाल संसार में मैं इक अकेली
काँप रही थी मेरी जीवनवेली
लेकिन जिस दिन तुमको पाया
मैंने मन को धीर बँधाया
अपने घर को स्वर्ग समझ
मैं फूले नहीं समाती
इक तुम्हीं हो मेरे साथी
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Is duniya ki pagdandi par-Amrapali 1945
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