Aug 28, 2018

मधुर मधुर गा रे मनवा-भक्त सूरदास १९४२

मधुरं भाषणं ये शब्द आपने ज़रूर सुने या पढ़े होंगे. मीठा
अर्थात मधुर सबको प्रिय है. अब वो स्वाद में हो या वाणी
में मधुरता से जीवन के कई कार्य बड़े आराम से निपट
जाया करते हैं.

डी एन मधोक का लिखा हुआ गीत सुनते हैं जिसका संगीत
तैयार किया है ज्ञान दत्त ने और इसे गाया है खुर्शीद ने. फिल्म
का नाम आप ऊपर पढ़ ही चुके हैं एक बार अतः दोबारा इसे
आप विवरण में और टैग में देख सकते हैं.




गीत के बोल:

मधुर मधुर गा रे मनवा
मधुर मधुर गा
मधुर मधुर गा रे मनवा
मधुर मधुर गा
नई धड़कन की
रीत मिलन की
नई धड़कन की
रीत मिलन की
सुर में मन के तार दे दे
मन का सन्देसा

मधुर मधुर गा आ आ आ
मधुर मधुर गा

मधुर मधुर गा रे मनवा
मधुर मधुर गा

सपना सुहाना मेरा
मधुर तराना तेरा
सपना सुहाना मेरा
मधुर तराना तेरा
रहूं ना होश में मन
होश से बेहोश बना
रहूं ना होश में मन
होश से बेहोश बना
ऐसा रंग जमा
ऐसा रंग जमा

मधुर मधुर गा आ आ आ
मधुर मधुर गा
मधुर मधुर गा रे मनवा
मधुर मधुर गा
मधुर मधुर गा रे मनवा
मधुर मधुर गा
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Madhur madhur gaa re manwa-Bhakt Surdas 1942

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