तुमसे मिलने को दिल करता है-फूल और कांटे १९९१
भी नायक विद्रोही, वो पुराना वाला एंग्री यंग मैन है
मगर थोडा एंग्री होता है, थोडा लॉजिक लगाता है,
थोडा रोमांस करता है और बचे खुचे में ढिशुम ढिशुम
करता है. रोमांस के मामले में वो ७० के दशक वाले
एंग्री यंग मैन से थोड़ा बेहतर है.
बाबा शब्द का प्रयोग फिलर जैसे किया जाता है और
बाल्टी भर के आदर देने के लिये भी किया जाता है.
इसे तकिया कलाम जैसे भी कुछ लोग उपयोग करते हैं.
छोटे बच्चे को भी प्यार से बाबा बोला जाता है. फिल्म
का बच्चा बोतल का निप्पल चूसने वाला बच्चा नहीं.
सुनते हैं बाबा और बेबी क्या गा रहे हैं परदे पर. इसे
फिल्माया गया है अजय देवगन और मधु पर. गीत की
रचना रानी मलिक ने की है और नदीम श्रवण की धुन
पर इसे कुमार सानू और अलका याग्निक गा रहे हैं.
गीत के बोल:
रुक जाना रुक जाना रुक जाना रुक जाना
तुमसे मिलने को दिल करता है
रे बाबा तुमसे मिलने को दिल करता है
तुम ही हो जिसपे दिल मरता है
तुमसे मिलने को दिल करता है
तुमसे मिलने को दिल करता है
रे बाबा तुमसे मिलने को दिल करता है
तुम ही हो जिसपे दिल मरता है
जब से तुमसे शुरू ये कहानी हुई
लोग कहते हैं मैं तो दीवानी हुई
जाने क्या बात ऐसी है तुझमें सनम
ये दिल तेरे लिए ही मचलता है
तुमसे मिलने को दिल करता है
दूर तुमसे रहूँ तो हों बेचैनियां
पास आऊँ तो बढ़ती हैं बेताबियां
हो ना जाए कहीं तू मुझसे जुदा
ऐसी बातों से दिल डरता है
रे बाबा तुमसे मिलने को दिल करता है
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Tumse milne ko dil karta hai-Phool aur Kaante 1991
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