कली एक तुमसे पूछूँ बात-साक्षी गोपाल १९५७
निकलता है जैसा इस गीत में है. नोक झोंक को बड़े ही
खूबसूरत अंदाज़ में प्रस्तुत किया गया है और गोरे-काले के
नेचुरल कोबिनेशन के उदाहरण भी दिए गए हैं. लैला मजनू
कलर के मामले में अलग थे जिसमें लैला का रंग काला था
और मजनू गोरा.
भंवरा और कली के ऊपर जितने भी गीत बने हैं उनमें
गीतकारों को ४ पंक्तियों में ही मजमूं को निष्कर्ष पर पहुंचाने
की जल्दी होती है. स्टेप बाय स्टेप नियंत्रित गति से चलने
में जो आनंद है वो उछ्लम कूदम में नहीं है. कभी भी पैदल
चाल की प्रतियोगिता में स्टीपल चेज़ को घुसेड़ा जा सकता
है क्या. हालांकि, बहुत से गीत प्रश्नचिन्ह छोड़ते हुए समस्या
पूर्ति के सामान जैसे ज़ल्द समाप्त हो जाते हैं. टी वी चैनलों
की तोतई भाषा में बोलें तो सवाल खड़ा कर जाते हैं.
गीत भरत व्यास की कलम से निकला है और धुन चित्रगुप्त
के तबेले से. वो क्या है अंग्रेजी में संगीत भक्त स्टेबल जैसा
कुछ बोलते हैं जिसका अनुवाद घुडसाल या तबेला ही होता
है. गीत एक युगल गीत है जिसे रफ़ी और लता ने गाया है.
गीत के बोल:
कली एक तुमसे पूछूँ बात के जब होती है आधी रात
कौन भँवरा बन के चुपचाप तेरी बगिया में आता है
चुरा के तेरा मन ले जाता है
हो ओ ओ ओ ओ
कली से काहे पूछे बात
कली से काहे पूछे बात प्यार में होती है ये घात
नैन के चलते हैं जब बान बान का जादू छाता है
बिचारा खिंच खिंच आता है
कली से काहे पूछे बात
हो ओ ओ ओ ओ ओ
निर्दयी भँवरा क्यों कुंजन की गली गली में घूमता
निर्दयी भँवरा क्यों कुंजन की गली गली में घूमता
कौन भरोसा करे जो फिरता कली कली को चूमता
कली कली को चूमता
परख करता भँवरा दिन-रात कौन वो कली जो देवे साथ
कमलिनी से जब मिलते नैन चैन मन का खो जाता है
रैन भर बँध-बँध जाता है
कली से काहे पूछे बात
ओ ओ ओ ओ ओ ओ ओ
संग निभे ना कली है गोरी भँवर का काला रंग रे
संग निभे ना कली है गोरी भँवर का काला रंग रे
कारे बदरवा से पूछो जो रखे बिजुरिया संग रे
रखे बिजुरिया संग रे
मधुर गोरे काले का साथ के ज्यूँ मिलते हैं दिन और रात
रात कारी संग गोरा चाँद मिलन का रास रचाता है
कली संग भँवरा गाता है
कली एक तुमसे पूछूँ बात के जब होती है आधी रात
कौन भँवरा बन के चुपचाप तेरी बगिया में आता है
चुरा के तेरा मन ले जाता है
कली से काहे पूछे बात प्यार में होती है ये घात
नैन के चलते हैं जब बान बान का जादू छाता है
बिचारा खिंच खिंच आता है
कली एक तुमसे पूछूँ बात
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Kali ek poochhoon tumse baat-Sakshi Gopal 1957
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