दोहावली..बड़े बढ़ाई ना करें-अंखियों के झरोखों से १९७८
दोहावली. सालों से हिंदी फ़िल्में स्टेज कॉम्पिटिशन के नाम
पर शेर शायरी के मुकाबले दिखाती आ रही थी उससे अलग
जो सालों से नहीं दिखाया जा रहा था और जिसकी अधिकाँश
जनता प्रतीक्षा करती है उसे दिखलाने का शुभ कार्य किया
गया. इस बात के लिए राजश्री को साधुवाद.
इस गीत को जनता ने हाथों हाथ लिया और आज भी आपको
ये कहीं न कहीं बजता मिलेगा चाहे इसका कवर वर्ज़न ही
क्यूँ ना हो. तुलसीदास, कबीर और रहीम के दोहों व पदों पर
आधारित ये गीत अमृतवाणी ही है.
इसे जसपाल सिंह और हेमलता ने गाया है. संगीत रवीन्द्र जैन
का है.
गीत के बोल:
बड़े बड़ाई ना कर बड़े ना बोले बोल
बड़े बड़ाई ना कर बड़े ना बोले बोल
रहिमन हीरा कब कहै लाख टका मेरा मोल
रहीमा लाख टका मेरा बोल
जो बडेन को लघु कहें नहि रहीम घटि जाये
जो बडेन को लघु कहें नहि रहीम घटि जाये
गिरधर मुरलीधर कहे कछु दुःख मानत नाहि
रहीमा कछु दुःख मानत नाहि
ज्ञानी से कहिये कहा कहत कबीर लजाय
ज्ञानी से कहिये कहा कहत कबीर लजाय
अंधे आगे नाचते कला अकारत जाय
कबीरा कला अकारत जाय
ऐसी वाणी बोलिये मन का आपा खोये
ऐसी वाणी बोलिये मन का आपा खोये
औरन को शीतल करे आपहु शीतल होय
कबीरा आपहु शीतल होय
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Dohavali-Ankhiyon ke jharokhon se 1978
Artists: Sachin, Ranjeeta
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