ये मौसम और ये तन्हाई-दास्तान १९५०
क्या लिखें और क्या बतलायें.
सुनते हैं फिल्म से सुरैया का एक गाना. बोल शकील
के है और संगीत नौशाद का. प्यानो का भरपूर प्रयोग
है.
गीत के बोल:
ये मौसम और ये तन्हाई
ये मौसम और ये तन्हाई
ये मौसम और ये तन्हाई ज़रा दम भर को आ जाओ
ज़रा दम भर को आ जाओ ये मौसम और ये तन्हाई
यही मौका है मिलने का
यही मौका है मिलने का
यही मौका है मिलने का लगी दिल की बुझा जाओ
लगी दिल की बुझा जाओ यही मौका है मिलने का
आ आ आ आ आ आ आ
बड़ी मुशकिल से मैंने आज दिल के तार छेड़े हैं
बड़ी मुशकिल से मैंने आज दिल के तार छेड़े हैं
दिल के तार छेड़े हैं
इन्हीं तारों पे तुम आ कर
इन्हीं तारों पे तुम आ कर कोई नग़मा सुना जाओ
कोई नग़मा सुना जाओ ये मौसम और ये तन्हाई
हाँ हाँ आ आ आ आ आ आ
यहाँ हर चीज़ फ़ानी है मुहब्बत के सिवा प्यारे
यहाँ हर चीज़ फ़ानी है मुहब्बत के सिवा प्यारे
मुहब्बत के सिवा प्यारे
ये दुनिया आनी जानी है
ये दुनिया आनी जानी है ज़रा हँस लो हँसा जाओ
ज़रा हँस लो हँसा जाओ यही मौका है मिलने का
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Ye mausam aur ye tanhai-Dastaan 1950
Artist: Suraiya
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