मैंने क्या किया सितम-काली घटा १९५१
से व्यक्ति अपने आप को तसल्ली और सुकून पहुंचाने की
कोशिश करता रहता है.
कभी कभी समय की चाल ना समझते हुए किसी वाकये
के लिए व्यक्ति खुद को दोषी मानने लगता है. उसे ये भी
समझ नहीं आता दोष उसका नहीं नसीब का है मगर वो
अपने आप को कोसे जाता है.
सुनते हैं हसरत जयपुरी की लाजवाब रचना काली घटा से.
लता मंगेशकर की आवाज़ है और शंकर जयकिशन की धुन.
गीत के बोल:
जियेंगे जब तलक हम उनकी बातें याद आयेंगी
ख़ुशी की छाँव में गुज़री वो रातें याद आयेंगी
मैंने क्या किया सितम ये मैंने क्या किया
इक साथी मिला था उलफ़त का उसको भी खो दिया
मैंने क्या किया सितम ये मैंने क्या किया
इक साथी मिला था उलफ़त का उसको भी खो दिया
मैंने क्या किया
खोई हुई किसी की वो सूरत नज़र में है
दिल में है ज़ख़्म दाग़-ए-मोहब्बत जिगर में है
दिल में है ज़ख़्म दाग़-ए-मोहब्बत जिगर में है
एक चाहने वाले को मैंने बदला क्या दिया
मैंने क्या किया सितम ये मैंने क्या किया
इक साथी मिला था उलफ़त का उसको भी खो दिया
मैंने क्या किया
चुभने लगी है अब तो
चुभने लगी है अब तो इन आँखों में नींद भी
चुभने लगी है अब तो इन आँखों में नींद भी
हाथों से अपने लूट ली अपनी ही ज़िंदगी
हाथों से अपने लूट ली अपनी ही ज़िंदगी
रोते हैं उनकी याद में क़िस्मत से क्या गिला
मैंने क्या किया सितम ये मैंने क्या किया
इक साथी मिला था उलफ़त का उसको भी खो दिया
मैंने क्या किया
दिल की ये आरज़ू है फिर आहें भरा करें
उनको बिठा के सामने बातें किया करें
उनको बिठा के सामने बातें किया करें
रूठा है कोई दर्द मेरे दिल में रह गया
मैंने क्या किया सितम ये मैंने क्या किया
इक साथी मिला था उलफ़त का उसको भी खो दिया
मैंने क्या किया
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Maine kya kiya sitam-Kali ghata 1951
Artists: Asha Mathur, Kishore Sahu

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