खाली है अभी जाम-गुलाम अली ग़ज़ल
के स्वर में. ८० के दशक के उत्तरार्ध में एक कलेक्शन
में ये ग़ज़ल पहली बार सुनाई दी थी.
जाम, मयखाना वाली थीम में जो उम्दा चीज़ें हैं वो
हम आपको समय समय पर सुनवाते रहते हैं.
गीत के बोल:
खाली है अभी जाम मैं कुछ सोच रहा हूँ
ऐ गर्दिश-ए-अय्याम मैं कुछ सोच रहा हूँ
साक़ी तुझे एक थोड़ी सी तकलीफ़ तो होगी
साग़र को ज़रा थाम मैं कुछ सोच रहा हूँ
पहले बड़ी रगबत थी तेरे नाम से मुझको
अब सुनके तेरा नाम मैं कुछ सोच रहा हूँ
फिर आज 'अदम' शाम से ग़मग़ीं है तबीयत
फिर आज सर-ए-शाम मैं कुछ सोच रहा हूँ
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Khali hai abhi jam-Haseen Lamhe
Lyrics; Abdul Hameed Adam
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